उत्तराखंड

उत्तराखंड में लोगों को सिखाया जाएगा तेंदुए के साथ जीना..

उत्तराखंड में लोगों को सिखाया जाएगा तेंदुए के साथ जीना..

शुरू होगा ‘गुलदार कु दगड़िया’ अभियान..

 

 

 

 

 

पिथौरागढ़ वन विभाग द्वारा गुलदार कु दगड़्या अभियान शुरू किया जा रहा है।वन विभाग, वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके तहत कई जागरूकता कार्यक्रम, सेमीनार आदि का आयोजन किया जा रहा है।

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश सहित अन्य हिमालयी राज्यों में मानव और वन्यजीवों के बीच लगातार संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। इसका मुख्य कारण संरक्षित क्षेत्र का अभाव, जानवरों के बीच घनिष्ठता बढ़ना और आधुनिक युग में लगातार बढ़ रहा शहरीकरण है। अब वन विभाग, वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके तहत कई जागरूकता कार्यक्रम, सेमीनार आदि का आयोजन किया जा रहा है।

आपको बता दे कि जागरूकता कार्यक्रमों से चमोली, उत्तरकाशी सहित कई अन्य जिलों में इसके सुखद परिणाम सामने आए हैं। पिथौरागढ़ में वन विभाग मानव और वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए ‘गुलदार कु दगड़िया’ अभियान शुरू करेगा। जिसमें लोगों को बताया जायेगा कि तेंदुए के बीच कैसे रहना है, मानव वन्यजीव संघर्ष कैसे कम हो आदि को लेकर कई कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों में चलाया जाएगा जागरूकता कार्यक्रम..

बता दे कि भौगोलिक संरचनाओं की विविधता के कारण सीमांत जिला जैव विविधता से भरपूर है। इस कारण यहां मानव और वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। पिछले कई वर्षों में तेंदुए, भालू, जंगली सुअर सहित कई वन्य जीवों ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा है। इसी को देखते हुए पिथौरागढ़ वन विभाग गुलदार कु दगड़्या अभियान शुरू करने जा रहा है।

इसमें जागरूकता कार्यक्रम चलाकर तेंदुए के बारे में भ्रांतियों का निवारण, तेंदुए के साथ जीना सीखना आदि की जानकारी दी जाएगी। कार्यक्रम के तहत स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम, सेनिमार आदि का आयोजन किया जाएगा। इसमें वन विशेषज्ञ लोगों को जंगली जानवरों की संबंध और क्यों मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ रहा है इसकी जानकारी देंगे।

मानव वन्य जीव संघर्ष बढ़ने के कारण..

मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ने का मुख्य कारण पशुओं और वन्यजीवों के साथ घनिष्ठ जुड़ाव और जंगली जानवरों के अनियंत्रित उपभोग है। आधुनिक समय में तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण ने वन भूमि को गैर-वन उद्देश्यों वाली भूमि बदलने के कारण वन्य जीवों के आवास क्षेत्र में कमी आ रही है।

 

संरक्षित क्षेत्रों की परिधि के पास कई मानव बस्तियां स्थित हैं और स्थानीय लोगों ने वन भूमि पर अतिक्रमण और भोजन, चारा आदि के संग्रह के लिए वनों के सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। इस कारण वन्य जीव मानव आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। वन्यजीवों के मानव बस्तियों के करीब आने के कारण मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। बता दे कि जिले भर के कई स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे। कार्यक्रम में लोगों और बच्चों को जंगली जानवरों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही तेंदुए के बीच कैसे जीना है ये तमाम चीजें सिखाई जाएंगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

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