उत्तराखंड

ग़ैरसैंण आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए निकाली जाएगी पदयात्रा

आंदोलन

ग़ैरसैंण के लिए दिल्ली में जुटे तीन सौ से अधिक प्रवासी

प्रवासियों ने दिलाया आंदोलन को पूर्ण सहयोग देने का भरोसा

स्थाई राजधानी समन्वय समिति की ओर से दिल्ली के गांधी पीस फ़ाउंडेशन के सभागार में आयोजित ‘ग़ैरसैंण के आलोक में पहाड़ के सवाल और समाधान’ विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में तीन सौ से अधिक प्रवासियों ने प्रतिभाग किया और स्थाई राजधानी ग़ैरसैंण के सपने को पूरा करने के लिए पूर्ण सहयोग देने की बात कही। इस मौक़े पर वक्ताओं ने आंदोलनकारियों ने ग़ैरसैंण के आलोक में पछाड़ के सवालों को आम लोगों के बीच रखा। साथ ही कहा कि ग़ैरसैंण आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए पिछले एक माह से पदयात्रा निकाले जाने की तैयारी चल रही है। पदयात्रा की तैयारी अंतिम रूप में है। जल्द ही उत्तराखंड में गाँवों में पदयात्रा निकाली जाएगी।

गोष्ठी में पिछले 18 वर्षों में उत्तराखंड की दिशा और दशा पर चर्चा की गई। आंदोलनकारियों ने प्रवासियों से ग़ैरसैंण आंदोलन में सहयोग, सहभागिता और समर्थन माँगा। आंदोलनकारियों ने यह भी कहा कि आंदोलन को गति देने के लिए पहाड़ में रह रहे लोगों के साथ ही पहाड़ से पलायन कर चुके प्रवासियों से संवाद किया जा रहा है। दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई के अलावा जिस भी शहर में पहाड़ के लोग रहते हैं, वहाँ पर लोगों से संवाद कर इस लड़ाई में साथ देने का आह्वान किया जा रहा है। इस आंदोलन में प्रवासियों द्वारा मिल रहे सहयोग से आंदोलनकारियों को ऊर्जा मिल रही है। आंदोलनकारियों ने यह भी कहा कि यह लड़ाई एकता के बलबूते ही जीती जा सकती है। अलग-अलग धड़ों में यह लड़ाई कमज़ोर पड़ेगी। सरकारें यही चाहती हैं।

इस दौरान प्रवासी पहाड़ी भाइयों ने कहा कि वह अपने गाँव जाकर ग़ैरसैंण आंदोलन की अलख जगाएँगे। साथ ही सोशल मीडिया में ज़रिए इस आंदोलन को गावँ-गावँ तक फैलाएँगे। प्रवासियों ने ग़ैरसैंण आंदोलन के लिए पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया। इस मौक़े पर तीसरी दुनिया के सम्पादक और नेपाल और दक्षिण अफ़्रीका साहित्य के विशेषज्ञ आनंद स्वरूप वर्मा, समयांतर के सम्पादक और वरिष्ठ साहित्यकार पकंज बिष्ट, स्थायी राजधानी ग़ैरसैंण संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष चारु तिवारी, नैनीताल समाचार के सम्पादक राजीव लोचन शाह, राज्य आंदोलनकारी इंद्रेश मैखुरी, परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी, NDTV के वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी, आंदोलनकारी और पत्रकार प्रदीप सती, कैलाश पांडे समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मौजूद थे।

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