मंकीपॉक्स को लेकर उत्तराखंड में अलर्ट जारी..
मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी अलर्ट जारी कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने विदेश से लौटै यात्रियों की निगरानी के लिये कहा है. अस्पतालों में आने वाले मरीजों में बुखार व शरीर पर चकत्ते मिलने पर तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों को सूचित करने के निर्देश दिये गये हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक डा. शैलजा भट्ट ने मंगलवार को सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिन में किसी ऐसे देश की यात्रा की है, जहां हाल ही में मंकीपाक्स के मामले मिले हैं, या फिर इस बीमारी के संदिग्ध मामलों की पहचान हुई है, वह चिकित्सक से जांच कराएं।
उत्तराखंड: मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भी अलर्ट जारी कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने विदेश से लौटै यात्रियों की निगरानी के लिये कहा है. अस्पतालों में आने वाले मरीजों में बुखार व शरीर पर चकत्ते मिलने पर तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालयों को सूचित करने के निर्देश दिये गये हैं. स्वास्थ्य महानिदेशक डा. शैलजा भट्ट ने मंगलवार को सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए कि ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिन में किसी ऐसे देश की यात्रा की है, जहां हाल ही में मंकीपाक्स के मामले मिले हैं, या फिर इस बीमारी के संदिग्ध मामलों की पहचान हुई है, वह चिकित्सक से जांच कराएं। जिन लोगों में बुखार के साथ शरीर पर लाल चकते जैसे लक्षण दिखाई देते हों, वह भी तुरंत अपनी नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें। वहीं मंकीपाक्स से संक्रमित अथवा संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में आने वाले व्यक्ति भी अपनी जांच कराएं।
आपको बता दे मंकीपॉक्स , चेचक की तुलना में हल्का होता है। इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, शरीर पर दाने और फ्लू जैसे होते हैं। ये लक्षण अपने आप ही 3 हफ्ते के अंदर चले जाते हैं। इसके अलावा मंकीपॉक्स शरीर में लिम्फ नोड्स या ग्रंथियों को भी बढ़ा देता है। मंकीपॉक्स के संपर्क में आए अधिकतर लोगों को केवल बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना थकान का अनुभव हुआ है। अगर संक्रमण अधिक गंभीर होता है तो चेहरे और हाथ पर दाने और घाव हो सकते हैं जो धीरे-धीरे शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकते हैं। मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है. इसमें चेचक के रोगियों जैसे लक्षण होते हैं. इसका कोई सटीक इलाज नहीं है. संक्रामक होने के बावजूद इसे कम गंभीर माना जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी जानलेवा नहीं है. इसके बावजूद संक्रमण से बचाव के लिये सावधान रहने की जरूरत है.
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