उत्तराखंड

दून में सफर आसान बनाने आ रही है मेट्रो नियो..

कॉरपोरेशन ने शासन को भेजा प्रस्ताव..

यूकेएमआरसी की बोर्ड बैठक में लगी थी मेट्रो प्रस्ताव पर मुहर..

 

 

उत्तराखंड: राजधानी में मेट्रो नहीं बल्कि नियो मेट्रो चलेगी। उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन का भेज दिया है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

आपको बता दे कि उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रस्ताव पर सरकार ने सबसे पहले देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार को नवंबर 2017 में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किया। इसके बाद देहरादून में दो कॉरिडोर (आईएसबीटी से राजपुर और एफआरआई से रायपुर) में मेट्रो चलाने के लिए सर्वे किया गया। मेट्रो नियो इन्हीं दो रूटों पर संचालित करने की योजना है। दूसरे चरण में हरिद्वार-ऋषिकेश को रखा गया था।

इसके बाद योजना बदली और यहां रोपवे चलाने पर चर्चा हुई। इस बीच केंद्र सरकार ने छोटे शहरों में मेट्रो नियो चलाने की बात कही। लिहाजा, उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूकेएमआरसी) ने भी देहरादून में मेट्रो नियो चलाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। यूकेएमआरसी की बोर्ड बैठक में देहरादून में मेट्रो नियो चलाने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई थी।

 

 

 

अब इसका प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेज दिया गया है। जल्द ही यह कैबिनेट में आएगा, जिसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू होगी। वहीं, हरिद्वार में इसके संचालन को लेकर पहला टेंडर जारी हुआ था, जिसमें कोई भी कंपनी सामने नहीं आई। अब दोबारा टेंडर जारी किया जाएगा।

 

 

क्या है मेट्रो नियो

1- मेट्रो नियो सिस्टम रेल गाइडेड सिस्टम है, जिसमें रबड़ के टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच होंगे।

2- इसके कोच स्टील या एल्युमिनियम के बने होंगे। इसमें इतना पावर बैकअप होगा कि बिजली जाने पर भी ट्रेन 20 किमी चल सकेगी।

3- सामान्य सड़क के किनारों पर फेंसिंग करके या दीवार बनाकर इसका ट्रैक तैयार किया जा सकेगा।

4- इसमें ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम होगा, स्पीड लिमिट भी नियंत्रण में रहेगी।

5- इसमें टिकट का सिस्टम क्यू आर कोड या सामान्य मोबिलिटी कार्ड से होगा।

6- इसके ट्रैक की चौड़ाई आठ मीटर होगी। जहां रुकेगी, वहां 1.1 मीटर का साइड प्लेटफॉर्म होगा। आईसलैंड प्लेटफॉर्म चार मीटर चौड़ाई का होगा।

 

कम खर्च में बनेगी मेट्रो नियो..

अभी एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर का खर्च 300-350 करोड़ रुपये आता है। अंडरग्राउंड में यही लागत 600-800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। जबकि मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है। चूंकि इसमें कम लागत आएगी, इसलिए इसमें यात्रियों को सस्ते सफर की सौगात भी मिलेगी। इसमें यात्रियों की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी।

बोर्ड बैठक से पास होने के बाद हमने देहरादून के दो रूटों पर मेट्रो नियो के संचालन का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। शासन से यह कैबिनेट बैठक में जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी होगी।

 

 

 

 

 

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