शहीद सूरज के पिता ने कहा : मौत तो सबको आनी है, लेकिन मुझे गर्व है कि बेटा देश के लिए शहीद हुआ।
सात दिन पहले डयूटी पर गए थे सूरज….
सूरज के शहीद होने के बाद से पूरा गांव स्तब्ध है….
अल्मोड़ा : भनोली तहसील का पालड़ी गांव के जवान सूरज बहन की शादी के लिए जितने भी अरमान देखे वह एक भी पूरे नहीं कर पाया। बहन को दुल्हन के जोड़े में देखने से पहले ही वह शहीद हो गया। जिला मुख्यालय से करीब 72 किमी दूर भनोली तहसील का पालड़ी गांव आज आठ कुमाऊं रेजिमेंट के जवान सूरज के शहीद होने के बाद से पूरा गांव स्तब्ध है। शहीद के पिता नारायण सिंह भाकुनी कहते हैं कि ‘मौत तो सबको आनी है, लेकिन मुझे गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ।’
सात दिन पहले डयूटी में जाने से पहले सूरज ने विदा लेते समय दादी, पिता और मां सीता देवी के चरण छूकर जल्द घर आने की बात कही थी और बहन की शादी धूमधाम से कराने का वादा किया था। सूरज की दादी रूपली देवी, मां सीता देवी और बहन राधा को अभी तक सूरज के शहीद होने की जानकारी नहीं दी गई है। यही वजह है कि रोज की तरह रविवार को भी सूरज की मां, दादी और बहन रोजमर्रा की तरह घर का काम निपटाने में लगी रहीं।
सूरज की शहादत की खबर मिलने के बाद रविवार को गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा था। सूरज के नहीं रहने की बात घरवालों से छुपाए पिता नारायण सिंह ने बताया कि एक हफ्ते पहले उनका लाल हंसते हुए उनसे बात कर रहा था। सूरज को अपनी बहन की शादी की भी बहुत चिंता रहती थी। सूरज की बहन की शादी तय हो चुकी है और अगले साल मई जून महीने में उसकी शादी होनी थी। सूरज ने इस बार घर आने पर बहन के लिए जेवर भी बना लिए थे।
यह बात बताते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। डबडबाई आंखों से उन्होंने बताया कि पिछली बार जब वह आया था तो गांव में भी खूब घूमा था। सूरज के पिता संवेदना जताने के लिए आने वाले लोगों को ताकीद कर रहे हैं कि यह बात उसकी मां, दादी और बहन को पता न चले। क्योंकि तीनों को यही बताया गया है कि उसे हादसे में चोट लगी है, लेकिन अब वह ठीक है। यही वजह रही कि लाडले की शहादत से अंजान मां सीता देवी रोजमर्रा की तरह गाय के लिए चारा तैयार कर रही थी तो बहन राधा चूल्हा जलाने को आंगन में लकड़ी एकत्र कर रही थी। सूरज की दादी रूपली देवी घर की दो मंजिले पर खड़ी दिखाई दीं।
सूरज अपने घर में एकमात्र कमाने वाला था। नया घर बनाने के लिए सूरज ने अपने पिता को पैसे भी दिए थे। सूरज के छुट्टी में आने के दौरान नया घर बनकर तैयार भी हो गया था। सूरज की कमाई से ही घर का खर्चा चल रहा था। सूरज के पिता की भनोली में एक छोटी सी दुकान है। इन छुट्टियों में सूरज से गांव वालों ने पूछा भी था कि शादी कर रहे हो क्या। तब सूरज ने कहा था अभी मेरी बहन की शादी होनी है उसके बाद अपनी शादी के बारे में सोचूंगा। गांव वालों को अब भी विश्वास नहीं हो रहा कि सूरज उनके बीच नहीं रहा।