उत्तराखंड

हेमा और कुलदीप के नाम रही मेले की आखिरी संध्या…

हेमा और कुलदीप के नाम रही मेले की आखिरी संध्या…

दोनों युवा लोक गायकों के गानों पर देर रात तक थिरके दर्शक… 

नये साल पर हेमा का मखमली घाघरी एलबम होगा लांच…

गीत में पारम्परिक बादी-बादिन के नृत्य को गया है दर्शाया… 

रुद्रप्रयाग। मंदाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक विकास मेले की आखिरी संध्या लोक गायक कुलदीप कप्रवाण एवं हेमा नेगी करासी के नाम रही। दोनों स्थानीय युवा लोक गायकों के गानों पर दर्शक देर रात तक थिरकते रहे। हजारों की संख्या में जुटी भीड़ ने गायकों का उत्साहवर्द्धन भी किया।

छः दिवसीय मंदाकिनी शरदोत्सव एवं कृषि औद्योगिक विकास मेला संपंन हो गया है। मेले की अंतिम सांस्कृतिक संध्या में हजारों की संख्या में दर्शक पहुंचे और लोक गायक कुलदीप कप्रवाण एवं हेमा नेगी करासी के गानों का जमकर लुत्फ उठाया। कार्यक्रम की शुरूआत लोक गायिका हेमा नेगी करासी ने नर्सिंंग जागर से की। इसके बाद हेमा ने गिर गेंदुवा, बगछट मन, खोल दे माता खोल दे भवानी (छपैली), मेरे भोले बाबा, गीत गाए। लोक गायक कुलदीप कप्रवाण ने रूड़ी बौ से अपनी पहली प्रस्तुति दी। इसके बाद उन्होंने जैका बाना भौल्या बण्यूं, मेरी राजुला की शानदार प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम के दौरान कुलदीप कप्रवाण एवं हेमा नेगी के मेरी बामणी गीत पर दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। इसके अलावा लोक गायक सुमान सिंह रौथाण ने तू बैठी मेरी प्यारी अंजू, मेरी गाड़ी औंदी की प्रस्तुति दी, जबकि प्रदीप बुटोला ने लछिमा एवं नंदा तेरी जात कैलाशा गीत गाया। कार्यक्रम में लोक गायिका हेमा नेगी करासी ने कहा कि ऐसे मंचों के माध्यम से स्थानीय लोक गायकों को मंच मिलता है। उन्होंने बताया कि जल्द ही उनकी नयी एलबम दर्शकों के बीच होगी। नये साल पर उनका मखमली घाघरी एलबम लांच होगा, जिसमें पारम्परिक बादी-बादिन के नृत्य गीत को दर्शाया गया है।

उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश, देश और विदेशों में आयोजित कार्यक्रम में पहाड़ की संस्कृति का प्रचार किया जा रहा है। कहा कि प्रदेश सरकार को भी लोक कलाकारों की सुध लेने की जरूरत है, जिससे वे पहाड़ की संस्कृति के अच्छे तरीके से प्रयास कर सकें।

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