कोरोना वायरस से तबाह हुए फेफड़े 3 महीने में हो रहे हैं ठीक..
देश-विदेश: कोरोना महामारी की चपेट में आने वाले एक तिहाई युवाओं के अंगों को कोरोना वायरस ने क्षतिग्रस्त किया है। ब्रिटेन के साइंटिफिक ग्रुप फॉर इमरजेंसी (एसएजीई) के सदस्य प्रो. कैलम सेंपल का कहना है कि 20 वर्ष की उम्र वाले जो लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए उनमें से एक तिहाई लोगों के अंगों को वायरस ने क्षतिग्रस्त किया है। कोरोना वायरस आमतौर पर मरीज़ों के फेफड़े पर हमला करता हैं। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हमने देखा था कि वायरस के हमले से कई मरीजों के फेफड़े 90 फीसदी तक खराब हो गए थे।
ऐसे में डॉक्टरों को ये डर सता रहा था कि इन फेफड़ों में लंग फाइब्रोसिस नाम की बीमारी हो सकती है। आमतौर पर ऐसी बीमारियों में फेफड़ों के टिशू खराब हो जाते हैं और फेफड़े काम करने बंद कर देते हैं। लेकिन एक स्टडी में पता चला है कि कोरोना के वो मरीज़ जिनके फेफड़े खराब हुए थे वो 3 महीने में ठीक हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार कोकिलाबेन अंबानी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर सुमित सिंघानिया का कहना हैं कि स्टडी में पता चला है कि ज्यादातर मरीजों के फेफड़े बेहतर हो रहे हैं। इस स्टडी के शुरुआती नतीजे ‘लंग इंडिया जर्नल’ में छपे हैं।
बेहतर हो रहे हैं खराब फेफड़े
डॉक्टर सुमित सिंघानिया ने कहा कि ये स्टडी कोरोना के उन मरीजों पर की गई जिनके फेफड़े काफी खराब हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘ तीन महीनों के बाद ज्यादातर मरीज़ों के फेफड़े के आकार और काम करने का तरीका काफी बेहतर हो गया। सभी मरीज़ों के लंग फंक्शन टेस्ट और सीटी स्कैन किए गए।
ऐसे मरीजों पर रखी गई नज़र..
ये स्टडी कोरोना के उन 42 मरीजों पर की गई जिन्हें एंटीवायरल रेमडेसिवीर इंजेक्शन और स्टेरॉयड दिए गए थे। इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके साथ ही इन्हें खतरनाक स्तर का निमोनिया भी हुआ था। अब तक इस स्टडी के तहत 300 लोगों पर नज़र रखी गई है। कुछ लोगों को कोरोना होने के एक साल बाद तक भी फॉलो किया गया। हिंदुजा हॉस्पिटल से जुड़े एक और डॉक्टर का कहना हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों को लंग फाइब्रोसिस की दवा भी लेने को कहा गया।