उत्तराखंड

लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे कर्नल कोठियाल

पार्टी और संसदीय क्षेत्र तय नहीं, सेना से वीआरएस लेने की चल रही कवायद
पहले देश के लिए लड़ता था, अब समाज के लिए लड़ूंगाः कर्नल कोठियाल
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्य से चर्चाओं में आए यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने एक मुलाकात में इस बात के संकेत दिए हैं। कर्नल कोठियाल ने अभी पार्टी और संसदीय क्षेत्र का खुलासा नहीं किया है। तीन माह के भीतर वह सेना से वीआरएस ले लेंगे। इस संबंध में उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं।

राष्ट्रीय सहारा से एक मुलाकात के दौरान राजनीति में प्रवेश को लेकर पूछ गए सवाल का जवाब देते हुए कर्नल कोठियाल ने कहा कि राजनीति को लेकर वह गोलमोल जवाब नहीं देंगे। उनका राजनीति में आने का विचार है। उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया है। अभी तय नहीं है कि किस सीट या किस दल में शामिल होंगे, लेकिन चुनाव लड़ना तय है। उनका मानना है कि राजनीति में कुछ लोग ऐसे होने चाहिए जो कीचड़ को साफ कर सकें। इरादा नेक है और यदि जनता ने साथ दिया तो समाज हित के कार्याें का विस्तार तेजी से करूंगा। समाज सेवा की जो शुरूआत यूथ फाउंडेशन से हुई है, उसका विस्तार ही होगा। वह चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के बच्चों को भी सेना में जाने का अवसर मिले। ताकि उन्हें भी मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इसके लिए कवायद चल रही है।

सेना में ब्रिगेडियर बनने के बजाय वीआरएस लेने के सवाल पर कर्नल कोठियाल ने कहा कि वह मूल रूप से सैनिक हैं और हमेशा रहेंगे। भारतीय सेना उनके रग-रग और सांसों में है। अब बस अंतर इतना होगा कि पहले देश के लिए लड़ता था और अब समाज और जनता के हितों की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्हें सेना में जोश, अनुभव, अनुशासन, नीति निर्माण और उस पर अमल करने की सीख मिली है। उन्हें लगता है कि सेना में रहते हुए जो कुछ भी अपना सर्वश्रेष्ठ देना था, वह दे चुके हैं और सेना ने भी उन्हें असीम प्यार व सम्मान दिया। अब समय आ गया है कि सैनिक के रूप में समाज की बेहतरी के लिए कुछ कर सकूं। इसलिए वीआरएस लेने का फैसला लिया गया है। यूथ फाउंडेशन की स्थापना के सवाल पर कर्नल कोठियाल ने कहा कि जब केदारनाथ आपदा आई तो एनआईएम की टीम ने राहत-बचाव कार्य करना शुरू किया। हमने स्थानीय लोगों की मदद भी ली। कई युवा सामने आए। तब महसूस हुआ कि यदि इस युवा फोर्स को इस्तेमाल सही हो तो इनकी बेरोजगारी भी दूर हो और ओर देश को अच्छे, साहसी और जोशीले सैनिक मिलेंगे। वर्ष 2014 में उत्तरकाशी स्थित एनआईएम में ही स्थानीय युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण कैंप की शुरूआत हुई। इस शिविर में शामिल सभी युवाओं को सेना में शामिल कर दिया गया। हमारा हौंसला बढ़ा और उसके बाद यूथ फाउंडेशन के विस्तार करने की सोची। सोच पर काम किया और आज यह बताते हुए खुशी हो रही है। विभिन्न जनपदों में लगाए गये यूथ फाउंडेशन के शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षण लेने वाले तीन हजार से भी अधिक युवा सेना या पैरामिलिट्री के अंग बन चुके हैं।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top