उत्तराखंड

केदारनाथ मास्टर प्लान का तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध

केदारनाथ मास्टर प्लान का तीर्थ पुरोहितों ने किया विरोध , विश्वास में लिये बगैर किये जा रहे धाम में पुनर्निर्माण कार्य
मंदिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग पर उठाई ऊंगली , 25 सितम्बर को धाम में अखिल भारतीर्य तीर्थ पुरोहित समाज की बैठक
केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन को लेकर बनाई जायेगी रणनीति

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम को विकसित करने के उद्देश्य से बनाये गये मास्टर प्लान का तीर्थ पुरोहित समाज ने विरोध जताया है। उनकी माने तो बिना तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिये धाम में कार्य किये जा रहे हैं, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है और धाम मंे अनियोजित तरीके से कार्य चल रहा है। इसको लेकर 25 सितम्बर को अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित समाज की बैठक आहूत की गयी है, जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे और केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी।

दरअसल, आपदा के बाद से केदारपुरी में पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है और पुनर्निर्माण कार्यों में तीर्थ पुरोहित समाज की कोई राय नहीं ली जा रही है। ऐसे में तीर्थ पुरोहितों में आक्रोश बना हुआ है। वर्षों से तीर्थ पुरोहित भगवान केदारनाथ की सेवा कर रहे हैं और कपाट खुलने से पूर्व तीर्थ पुरोहित अपने यजमानों को केदारनाथ आने का न्यौता देते हैं, जिससे लाखों की संख्या में देश-विदेश से तीर्थयात्री केदारनाथ पहुंचते हैं और भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करते हैं। तीर्थ पुरोहित समाज में आक्रोश है कि केदारनाथ जैसे पवित्र धाम में आपदा के बाद से कार्य किया जा रहा है, लेकिन उनकी कोई राय नहीं ली जा रही है और ना ही तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लेकर कार्य चल रहे हैं। शासन-प्रशासन अपनी मनमर्जी से धाम में कार्य कर रहा है। तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि केदारनाथ धाम में मंदिर प्रांगण में कार्य किया जा रहा है। चार साल से पुरातत्व विभाग की ओर कार्य किया जा रहा है। कभी मंदिर प्रांगण में पत्थर बिछाये जाते हैं तो कभी उन पत्थरों को तोड़ दिया जाता है। मंदिर की सुरक्षा को लेकर कच्चा पिल्लर खड़ा किया गया है। इन सालों में पुरातत्व विभाग ने यही काम धाम में किया है। महंगे-महंगे पत्थरों को बिछाने के बाद निकाला जा रहा है। मंदिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग कोई कार्य नहीं कर रहा है, सिर्फ सरकारी पैंसो का दुरूपयोग किया जा रहा है। केदारनाथ मंदिर के दांयी तरफ एक पिल्लर खड़ा किया गया है, जिससे मंदिर की सुरक्षा की बात कही जा रही है। यह कच्चा पिल्लर कभी भी धराशायी हो सकता है। कहा कि केदारनाथ के बुरे दिन आ गये हैं। बिना पूछे ही मास्टर प्लान तैयार किया गया। व्यापारियों को हाॅट बाजार में भेजा गया, जहां व्यवस्थाएं नहीं हैं।

तीर्थ पुरोहित समाज के महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती ने कहा कि आपदा के समय तीर्थ पुरोहितों ने अपना बहुत कुछ खोया है। पिछली सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को सुनहरे सपने दिखाये और नयी सरकार ने उन सपनों को चकनाचूर कर दिया। आज तक धाम में तीर्थ पुरोहितों के भवनों को नहीं बनाया गया है। मंदिर पैदल मार्ग पर रोजगार कर रहे व्यापारियों को बेरोजगार कर दिया है। जिस स्थान पर उदक कुंड था, उसका मूल स्थान ही बदल दिया है। ऐसे में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। तीर्थ पुरोहित समाज के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण जुगराण ने कहा कि आज तक केदारनाथ में शंकराचार्य समाधि स्थल का निर्माण नहीं हो पाया है। सरकार का ध्यान सिर्फ पैदल मार्ग को चैड़ा करने में लगा है। मार्ग को इतना चैड़ा कर दिया गया है, जो किसी काम नहीं आ रहा है। तीर्थ पुरोहित आनंद सेमवाल, राजकुमार तिवारी, डीएम वाजपेई, वेदप्रकाश तिवाड़ी ने कहा कि शीतकाल में केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण का कार्य नहीं होने दिया जायेगा। भगवान शंकर शीतकाल में समाधि में रहते हैं। ऐसे में पुनर्निर्माण कार्य किये जाने से धार्मिक भावनाओं के साथ कुठाराघात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार, शासन-प्रशासन अपनी मनमर्जी से केदारधाम में कार्य कर रहे हैं। यह कदापि उचित नहीं है। 25 सितम्बर को अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित समाज की केदारधाम में बैठक आहूत की गयी है। इस बैठक में चारों धामों के तीर्थ पुरोहित शामिल होंगे और केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की रूपरेखा तय की जायेगी।

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