उत्तराखंड

शीतकाल के छह माह के लिये बाबा केदार के कपाट बंद

रामपुर में करेगी बाबा की डोली ने प्रथम रात्रि प्रवास

रविवार को गुप्तकाशी पहुंचेगी बाबा केदार की डोली

श्रद्धालुओं की जयकारों से गूंजा केदारनाथ

रुद्रप्रयाग- द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के आज प्रात: आठ बजकर 30 मिनट पर शीतकाल के छह माह के लिये विधि-विधान एवं पौराणिक परंपराओं के अनुसार बंद कर दिये गये हैं। कपाट बंद होने के अवसर पर देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ का जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित किया। जैकलाई आर्मी की बैंड धुनों द्वारा भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली की अगुवाई की जा रही है। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी, जहां से डोली रविवार को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में रात्रि प्रवास करेगी और 23 अक्टूबर को डोली शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।

पौराणिक परंपराओं के अनुसार भैयादूज के पावन पर्व पर बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के छः माह के लिए बंद हो गये हैं। कपाट बंद से पहले रात्रि दो बजे प्रधान पुजारी बागेश लिंग ने बाबा केदार को बाल भोग लगाया। दो बजे से तीन बजे तक श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के स्वयं-भू लिंग का जलाभिषेक कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। तीन बजे से चार बजे तक भगवान केदारनाथ का रूद्राभिषेक, हवन व आरती उतारी गई। पांच बजे से छह बजे तक भगवान केदारनाथ के स्वयं-भू लिंग को ब्रम्हकमल, पुष्प, अक्षत्र, भष्म, फल सहित अन्य पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गई। ठीक साढे़ छः छह बजे गर्भग्रह के कपाट बंद कर दिये गये। शीतकाल के छह माह भगवान शंकर विश्व कल्याण के लिये तपस्यारत हो गये हैं। शीतकाल के छह माह भगवान शिव की पूजा देवताओं द्वारा की जाएगी। ठीक साढ़े आठ बजे भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली सभामंडप से मंदिर परिसर लाई गई और मुख्य द्वार को बंद कर भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये। पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के मंदिर परिसर आते ही जैकलाई आर्मी की बैंड धुनों, स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों व श्रद्धालुओं की जयकारों से केदारपुरी गुंजायमान हो उठी। इसके बाद पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली द्वारा मुख्य मंदिर की एक परिक्रमा की और केदारपुरी, लिनचैली, जंगलचटटी, गौरीकुंड सहित अन्य स्थानों पर श्रद्धालुओं को दर्शन देकर डोली गौरीकुंड में गौरीमाई मंदिर में कुछ देर विश्राम करने के बाद बाबा केदार की डोली सोनप्रयाग, सीतापुर होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। 22 अक्टूबर को चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर शेरसी, बडासू, नारायकोटी, नाला होते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये गुप्तकाशी पहुंचेगी। जहां पर कीर्तन संध्या का आयोजन किया जाएगा। 23 अक्टूबर को गुप्तकाशी से प्रस्थान कर शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी।

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