जय वीरू की जोड़ी से मशहूर युवा, इस क्षेत्र में बना रहे खास मुकाम..
देश-विदेश: गोरखपुर जिले में जय-वीरू के नाम से विख्यात जोड़ी आज कल हर किसी के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। महेश और धर्मेंद्र की जोड़ी को उनके परिचितों के बीच जय-वीरू के नाम से विख्यात है। पहले इन दोनों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी साथ में की और फिर कुछ सालों के बाद अलग मुकाम बनाने की इच्छा के लिए रेडीमेड गारमेंट की फैक्ट्री लगा ली। इस फैक्ट्री को लगाने में सहायक बनी केंद्र सरकार की योजना प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना। रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में आज एक अलग मुकाम बनाने के साथ ही इन जय-वीरू की जोड़ी 20 लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।
तारामंडल के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार और सरदारनगर के डुमरी खास लक्ष्मीपुर के निवासी महेश गुप्ता प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी साथ में करते थे। महेश का चयन इंस्पेक्शन ऑफिसर के रूप में भी हो चुका है। वहीं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान दोनों दोस्तों ने मिलकर रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में खुद का कारोबार करने की योजना बनाई थी।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के अंतर्गत ऋण के लिए आवेदन दिया और 22.5 लाख रुपये ऋण मिला इस योजना के अनुसार 25 प्रतिशत सब्सिडी भी मिली। जिसके बाद उन्होंने तारामंडल रोड स्थित भगत चौराहे पर पास डीके इंटरप्राइजेज नाम की कंपनी स्थापित की। पिछले वर्ष कोरोना काल में लौटे कुशल कारीगरों को साथ लेकर अब रेडीमेड गारमेंट्स तैयार करना शुरू कर दिया।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना से मिला ऋण..
20 कारीगरों से चल रही उनकी फैक्ट्री में जींस, टी-शर्ट, शर्ट, लोअर, बरमूडा, कैप्री, कुर्ती बनाई जाती है। उनके उत्पाद न सिर्फ गोरखपुर बस्ती मंडल में बल्कि हरियाणा और बिहार प्रांत में भी निर्यात होने लगे हैं। लोअर के लिए कच्चा माल लुधियाना से और अन्य कपड़ों के लिए आयात सूरत और अहमदाबाद से करते हैं।
महेश और धर्मेंद्र का कहना हैं कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना से मिले ऋण की वजह से उन्हें अपनी फैक्ट्री स्थापित करने में काफी सहायता मिली। रेडीमेड गारमेंट का क्षेत्र में बहुत स्कोप है। गोरखपुर, बस्ती मंडल के अलावा देश के कुछ अन्य राज्यों में भी उत्पादों की काफी अच्छी खपत है। फिलहाल फैक्ट्री में 20 कारीगर काम कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही इसमें और विस्तार किया जाएगा।