उत्तराखंड

उत्तराखंड के आईटी एक्सपर्ट सुधीर बहुगुणा ने रिलांयस छोड़कर देश में बनाई अलग पहचान

अपने परिवार के साथ सुधीर बहुगुणा

मुकेश अंबानी के बेहद नजदीक रहे पहाड़ के इस शख्स ने बना दी अपनी कंपनी

चेहरे पर एक विजेता सी मुस्कान और शब्द-शब्द में टपकता आत्मविश्वास, मन में पहाड़ के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना। नीली जींस और हल्की मैरून कलर की शर्ट पहने वह सादगी की प्रतिमूर्ति लगे, ऐसे में कोई भी सहसा विश्वास नहीं कर सकता है कि वह व्यक्ति कभी देश के सबसे बड़े उद्यमी मुकेश अंबानी का बेहद नजदीक रहा हो और उसकी एक कंपनी का सीनियर वाइस प्रेजीडेंट। रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में सीनियर वाइस प्रेजीडेंट रहे सुधीर बहुगुणा ने ओएनजीसी को भी नया आयाम देने में अहम भूमिका अदा की।

यह उनका पहाड़ प्रेम ही था कि वह रिलायंस की नौकरी को छोड़ कर अपना निजी व्यवसाय कर रहे हैं। वेदांग कंसलटेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की सीईओ एंड एमडी सुधीर बहुगुणा ने महज चार वर्ष के दौरान ही देश में अपनी अलग पहचान बना ली है। इस कंपनी की आय का 20 प्रतिशत भाग वह पहाड़ के विकास पर खर्च कर रहे हैं। सुधीर बहुगुणा मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के साकली गांव के निवासी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहाड़ के ही विभिन्न इलाकों में हुई। वह बचपन से ही पढ़ने में कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने वर्ष 1983 में दिल्ली के आईआईटी से इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकॉम में इंजीनियरिंग की। इसके बाद उन्हें ओएनजीसी में नौकरी मिल गई।

वंडर्स आफॅ 20 पीपल्स

वर्ष 1997 में ओएनजीसी विदेश ने कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों में से 20 सर्वश्रेष्ठ लोगों को अपने साथ जोड़ा। उस समय ओएनजीसी विदेश करोड़ों के घाटे में चल रही थी। इन बीस कर्मचारियों की टीम में सुधीर बहुगुणा का चयन भी किया गया था। इस वंडर टीम ने ओएनजीसी विदेश की दशा और दिशा बदल दी। टीम ने एक दशक की अवधि में ही ओएनजीसी विदेश को 1500 करोड़ प्राफिट की कंपनी बना दिया। ओएनजीसी विदेश के तहत सुधीर बहुगुणा ने यूएसए, सूडान, सिंगापुर आदि देशों में काम बखूबी संभाला। बहुगुणा कंपनी के आईटी सेक्टर के मोर्चे पर काम करते थे और उन्होंने आयल सेटअप के साफ्टवेयर तैयार किए।

विदेश में रहते हुए सुधीर ने यूएसए के एक्सॉन मोबाइल, बीपी, सीएनपीसी, पेट्रो वियतनाम के साथ आईटी, आर्गनाइजेशन चेंज्ड मैनेजमेंट और बिजनेस ट्रांसफार्मेशन प्रोजेक्ट्स पर काम किया। वह वर्ष 2002 से यूएसए के गेरसन लेहरमन कंसल्टिंग ग्रुप के काउंसिल मेम्बर भी हैं। यह सुधीर बहुगुणा समेत 20 कार्यकुशल वंडर टीम की अथक मेहनत और दूरदर्शिता है कि ओएनजीसी विदेश मौजूदा समय में 17 देशों में 37 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज से नाता

ओएनजीसी विदेश में अपनी क्षमता और योग्यता का लोहा मनवाने के बाद सुधीर ने वर्ष 2006 में देश के प्रख्यात उद्यमी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में नाता जोड़ लिया। अंबानी ने उनकी प्रतिभा और कार्यकुशलता को देखते हुए उन्हें रिलायंस गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में वाइस प्रेसीडेंट और फिर सीनियर वाइस प्रेजीडेंट की अहम जिम्मेदारी दी। इस कंपनी में ऑयल एंड गैस संबंधित सभी अहम फैसले लेते थे। रिलायंस में भी उन्होंने नये कंसेप्ट के साथ ऑयल एंड गैस के लिए वेल हेड टू कस्टमर, आईटी और ऑटोमेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का विश्व स्तरीय सॉफ्टवेयर तैयार किया।

उन्होंने कंपनी के लिए अगले 25 वर्षों के लिए आईटी सेटअप तैयार किया। इस सेटअप के माध्यम से ऑपरेशनल कास्ट में भी कमी आयी। रिलायंस इंडस्ट्रीज में अपने लगभग पांच साल के सफर में उन्होंने कई आयाम स्थापित किए। लेकिन कुछ समय के बाद उन्हें महसूस हुआ कि अब कुछ और नया करना चाहिए। जिसका लाभ आम जनता को भी मिले। यही सोचकर उन्होंने रिलायंस से इस्तीफा दे दिया। सुधीर बताते हैं कि स्वयं मुकेश अंबानी ने उन्हें कहा कि यदि वह दिल्ली में रहना चाहते हैं तो टेलीकॉम संभाल लो, लेकिन मैं तय कर चुका था कि अब कुछ अपना ही काम करना है।

वेदांग कंसल्टेंसी की स्थापना

रिलायंस छोड़कर अपना व्यवसाय शुरू करने का फैसला कठिन था। सुधीर बताते हैं कि इस फैसले में उनकी पत्नी गार्गी बहुगुणा ने हर बार की तरह मेरा पूरा साथ दिया। वर्ष 2012 में रिलायंस से इस्तीफा देने के बाद मैंने वेदांग कंसलटेंसी प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की। इस कंपनी में मेरा उद्देश्य था कि सरकार के लिए ई गवर्नेंस सेवा देना। मैंन महसूस किया है कि अधिकांश सरकारों के पास प्रोजेक्ट्स को लेकर कोई विजन नहीं है। इस कारण ई-गवर्नेंस को अधिक प्रभावशाली नहीं बनाया जा सका।

सुधीर बहुगुणा के अनुसार हमने तय कि जोखिम हम लेंगे और सॉफ्टवेयर तैयार करेंगे। इस क्रम के तहत हमने उत्तराखंड सरकार से बात की और काम की शुरूआत हो गई। मैंने सिडकुल हरिद्वार से शुरुआत की। इसके तहत पेपरलेस वर्क को प्रोत्साहन मिला। सिडकुल को जीपीएफ के तहत जोड़ा गया।

आज स्थिति यह है कि उत्तराखंड में सिडकुल का साफ्टवेयर तैयार है और एक क्लिक करते ही सिडकुल की भूमि, प्लाट, रेट, फैक्टरी आदि के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। वह बताते हैं कि आज सरकार इज डूइंग ऑफ बिजनेस पर कार्य कर रही है। जबकि इस कंसेप्ट के तहत उन्होंने सिडकुल की फेजिंग की। वह बताते हैं कि रिकार्ड चार माह के समय में ही सिडकुल की फेजिंग कर दी।

स्मार्ट सिटी के बारे में उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य सरकार और जनता के बीच में पुल की तरह से काम करना है। डायनमिक रिस्पांस के तहत लोगों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्टेशन, सिक्योरिटी आदि उपलब्ध करानी हैं। आईटी के माध्यम से लोगों की समस्याओं का निपटारा करना है।

एक क्लिक पर ग्रेटर नोएडा की जानकारी

वेदांग कंसल्टेंसी ने ग्रेटर नोएडा को पूरी तरह से आनलाइन कर दिया है। ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथारिटी के किसी भी प्लांट या जगह की जानकारी अब आपको घर बैठे मिल जाएगी। पहले ग्रेटर नोएडा में जमीन को लेकर भारी-भारी घपले और धोखाधड़ी हो रही थी लेकिन इस साफ्टवेयर ने यहां की इस तरह की समस्त समस्याओं का समाधान कर दिया है। अब खसरा नंबर या प्लाट नंबर के आधार पर उसकी समस्त जानकारी मिल जाती है। इसका श्रेय सुधीर बहुगुणा को ही जाता है।

उनकी टीम ने रिकार्ड 43 दिनों में ही पूरा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र को स्मार्ट आईई और ईआरपी सिस्टम से ऑनलाइन कर दिया। उनके अनुसार इस साफ्टवेयर के माध्यम से पेपरलेस और केशलेस सुविधा मुहैया हो गई है। उनकी कंपनी इस दिनों तेलंगाना सरकार के लिए भी सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है। इंरप्राइसेज रिसोर्सेज प्लानिंग यानी ईआरपी के तहत 101 लोकशन तलाशे गए हैं।

उनके अनुसार अपनी कंपनी शुरू करने का उद्देश्य था कि रोजगार सृजित किया जाए और बेहतरीन सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी साफ्टवेयर तैयार किए जाएं जो कि सस्ता और प्रभावी हो। इस कड़ी में कंपनी ने अब तक आईटी और ऑयल एंड गैस के लिए 24 साफ्टवेयर तैयार किए हैं जिनमें से 13 प्रभावी हो गए हैं।

स्मार्ट वाटर ग्रिड का सॉफ्टवेयर कर रहे तैयार

सुधीर बताते हैं कि उनकी कंपनी स्मार्ट वाटर ग्रिड को तैयार कर रही है। उनके अनुसार पानी दिनोंदिन पूरे विश्व के लिए समस्या है। पानी के लिए तीसरा विश्वयुद्ध होगा। उनका मानना है कि पानी के वितरण में 60 प्रतिशत पानी का उपयोग नहीं हो पाता है। वाटर लॉस का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। स्मार्ट वाटर ग्रिड प्रणाली से हम पानी की आपूर्ति में होने वाले नुकसान को कम से कम कर सकते हैं। इस प्रणाली के तहत पानी के स्रोत से लेकर उसकी आपूर्ति तक पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा सकेगा। वेदांग कंसल्टेंसी तीन एम यानी मैन पावर, मटीरियल, और मनी का सही उपयोग कर टेक्नोलाजी को अफोर्डेबल व ट्रांसपेरेंट बनाने का काम कर रही है।

देहरादून बन सकता है आईटी हब

टैक्नोक्रेट सुधीर बहुगुणा मानते हैं कि देहरादून आईटी हब बन सकता है। उनके अनुसार वह लंबे समय से इसके लिए प्रयासरत रहे हैं। उनका कहना है कि मैं प्रदेश के हर मुख्यमंत्री से मिला, मैंने इस संबंध में बात भी की लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं हो सकी।

वह बताते हैं कि यदि सरकार प्रोत्साहन दे और आईटी कंपनियों को सब्सिडी दे तो देहरादून दिल्ली एनसीआर के मुकाबले में आईटी के लिए सबसे अच्छा है। वह मानते हैं कि देहरादून का वातावरण और यहां की लिविंग कास्ट कम है। यहां शिक्षा का भी हब है। ऐसे में आईटी कंपनियों को मैनपावर अच्छी भी मिलेगी और सस्ती भी। पर किसी भी सरकार ने उनके सुझाव पर सकारात्मक पहल नहीं की।

पांच लड़कियों को स्पांसरशिप

सुधीर अपनी माटी की जड़ों से जुड़े हुए हैं। विदेशों में रहते हुए भी उनका अपनी माटी से जुड़ाव रहा। उनका दिल पहाड़ के लिए धड़कता है। यही कारण है कि वह पहाड़ के विकास को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने तय किया है कि उत्तराखंड की पांच प्रतिभावान लड़कियों को पढ़ाई के साथ ही हास्टल व अन्य खर्चे भी वह उठाएंगे। ये लड़कियां भले ही डॉक्टरी करें या इंजीनियरिंग या किसी अन्य कोर्स में। वह बताते हैं कि इन लड़कियों के चयन का आधार तय किया जा रहा है। यह व्यवस्था उनके ट्रस्ट श्रीनंद रिखली वेदांत के माध्यम से दी जाएगी। सुधीर अपनी आय का 20 प्रतिशत इस ट्रस्ट को दे रहे हैं।

दादी से मिले संस्कार

सुधीर बहुगुणा पांच भाई हैं। उनकी एक बहिन है। सुधीर को समाज सेवा के संस्कार विरासत में मिले हैं। उनकी दादी रिखली देवी के विचारों का उनके जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। सुधीर के अनुसार जब वह छोटे थे, तो दादी ने उनके पिता से कहा था कि इसे मेरे साथ गांव में रहने दो। तब कुछ महीनों के लिए मैं दादी के साथ गांव में रहा। इस दौरान उन्होंने मुझे जो सीख दी, उसका असर बना हुआ है।

गांव से नाता लगातार जुड़ा रहा। मैं अपनी बेटी रुनझुन को भी हर साल गांव ले जाता हूं। मेरे बड़े भाई विनोद बहुगुणा फारेस्ट में डीजी रहे हैं और अब उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष हैं। भाई से भी हमें संस्कार और जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिली है। मेरी पत्नी गार्गी एडवोकेट है और गरीबों को मुफ्त में कानूनी सलाह देती है। सुधीर दिल्ली वसंतकुंज रोटरी क्लब के अध्यक्ष भी हैं।

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