चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल किया प्रार्थनापत्र..
पंजीकरण न होने पर लौटाए 40 यात्री..
उत्तराखंड: नैनीताल हाईकोर्ट में सरकार ने चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की निर्धारित संख्या बढ़ाने के लिए हलफनामे के साथ प्रार्थनापत्र दाखिल किया है। इस मामले को सरकार की ओर से शुक्रवार या सोमवार को कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए पेश किया जाएगा। आपको बता दे कि पूर्व में हाईकोर्ट ने सरकार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को हटा दिया था।
साथ ही केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800, बद्रीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 श्रद्धालुओं को जाने देने की अनुमति दी थी। गुरुवार को सरकार की ओर से इस आशय का हलफनामा दाखिल कर दिया गया। सरकार के अनुसार चारों धामों में एसओपी का पूरी तरह अनुपालन किया जा रहा है। बेहद कम तीर्थयात्री दर्शन के लिए जा पा रहे हैं।
चारधाम यात्रा की अधूरी तैयारी बाहरी राज्यों के यात्रियों के लिए मुसीबत बन रही है। ऋषिकेश से यमुनोत्री जा रहे 28 सवारियों से भरी बस को देवस्थानम बोर्ड में पंजीकरण न होने के चलते पुलिस ने लौटा दिया। कार्रवाई से बस ऑपरेटरों ने विरोध किया है।
बस ऑपरेटर विनोद भट्ट का कहना हैं कि उनकी एक बस मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के 28 सवारियों को लेकर यमुनोत्री जा रही थी। दोपहर 12 बजे बस जैसे ही भद्रकाली चेक पोस्ट पर पहुंची तो यहां पर तैनात पुलिस और एआरटीओ के कर्मचारियों ने बस को रोक दिया। उनका कहना हैं कि बस में जो 28 सवारी बैठी थी, उनका पंजीकरण दून स्मार्ट सिटी वेबसाइट पर किया गया था।
तारीख न मिलने पर उन्होंने देवस्थानम बोर्ड की साइट पर पंजीकरण नहीं करवाया। विनोद भट्ट का कहना हैं कि इस बाबत धर्मस्व सचिव की ओर से 25 सितंबर को एक आदेश जारी किया गया, आदेश के बिंदू संख्या तीन में यदि किसी यात्री को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर तारीख नहीं मिलती है तो वह केवल दून स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पंजीकरण कर चारधाम की यात्रा पर जा सकते हैं। यात्रियों को दर्शन के लिए न पहुंचने वाले पंजीकृत यात्रियों की जगह समायोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बस को वापस भेजने से यात्रियों में राज्य को लेकर गलत संदेश दिया गया है।