उत्तराखंड

नगरासू-शिवानंदी के मध्य महाविद्यालय स्थापना की मांग..

नगरासू-शिवानंदी के मध्य महाविद्यालय स्थापना की मांग..

गढ़वाल विवि के महासचिव ने सीएम से की मुलाकात..

कहा, केदारनाथ आपदा से प्रभावित सैकड़ों लोगों को आज तक नहीं मिला मुआवजा..

 

 

 

रुद्रप्रयाग। जनपद के रानीगढ़, धनपुर एवं तल्लानागपुर क्षेत्र के केन्द्र बिन्दु नगरासू-शिवानंदी के मध्य राजकीय महाविद्यालय स्थापना किए जाने की मांग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय के महासचिव प्रदीप सिंह रावत ने मुख्यमंत्री से की है। ताकि सभी क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं को उचच शिक्षा का लाभ मिल सके। इसके अलावा उन्होंने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से 16-17 जून 2013 की आपदा से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने की मांग की।

 

गढ़वाल विश्व विद्यालय के महासचिव रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को भेजे ज्ञापन में कहा कि रानीगढ़ पट्टी, धनपुर पट्टी व तल्ला नागपुर क्षेत्र में उच्च शिक्षा का कोई भी साधन नहीं है, जिससे इन क्षेत्रों के गांवों के युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए बाहरी क्षेत्रों की दौड़ लगानी पड़ती है। कहा कि इन गांवों में आर्थिक स्थिति से ठीक होने वाले परिवार अपने बच्चों को उच्च शिक्षा ग्रहण कराने के लिए बाहरी शहरों के लिए भेज देते है, लेकिन आर्थिक रूप से गरीब परिवारों के हजारों युवा उच्च शिक्षा से वंचित रह रहे हैं। उच्च शिक्षा के केन्द्र गढ़वाल विवि श्रीनगर गढ़वाल और महाविद्यालय अगस्त्यमुनि व रुद्रप्रयाग इन ग्रामीण क्षेत्रों से 70 और 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।

 

 

ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के पास खर्च वहन करने की इतनी क्षमता नहीं है। आर्थिक रूप से सक्षम परिवार ग्रामीण क्षेत्रों से अपने बच्चों के भविष्य के कारण पलायन करने को मजबूर है। उन्होंने नगरासू से शिवानन्दी के मध्य उचित स्थान पर एक राजकीय महाविद्यालय की स्थापना किए जाने की मांग है। पलायन को रोकने के साथ ही उच्च शिक्षण की स्थापना भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा। वहीं दूसरी ओर श्री रावत ने कहा कि 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई जल प्रलय के दौरान सैकड़ों लोग अलग-अलग स्थानों पर प्रभावित हो गये थे, जिन्हें आज तक कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है।

 

आपदा के पश्चात प्रभावितों ने अपने साक्ष्यों के साथ तत्कालीन जिलाधिकारी को आवेदन किया था और जिलाधिकारी ने संबंधित एसडीएम से प्रकरणों की जांच भी करवायी थी, जो कि तत्कालीन जिलाधिकारी के पत्र संख्या 3904/22-4 (2010-11) दिनांक 15 जुलाई 2013 द्वारा अवगत करवाते हुए तत्कालीन प्रमुख सचिव को प्रेषित करवाया गया था और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से एक लाख तथा पचास हजार रूपये की आर्थिक सहायता दिलवाये जाने का आग्रह किया गया था।

 

मगर आपदा में हुई क्षतिपूर्ति का मुआवजा प्रभावितों को आज तक भी नहीं मिल पाया है। आपदा के समय में तत्कालीन सरकार द्वारा प्रभावितों के साथ छल किया गया है। श्री रावत ने तत्कालीन जिलाधिकारी के अनुरोध पत्र का संज्ञान लेते हुए प्रभावितों को आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की।

 

 

 

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