बेटियों ने हरिद्वार में माता-पिता को दी अंतिम विदाई..
गंगा में विसर्जित कीं अस्थियां..
उत्तराखंड: हेलीकाप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका का अस्थि विसर्जन हरिद्वार में कर दिया गया। दोनों बेटियों, कृतिका और तारिणी ने हरिद्वार में अस्थि विसर्जन किया।
इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्य के कई अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें। इससे पहले कृतिका और तारिणी शनिवार सुबह दिल्ली छावनी के बरार स्क्वायर श्मशान घाट पहुंचीं। शुक्रवार को दोनों का सर्वोच्च सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दिल्ली कैंट के बरार स्क्वायर स्थित श्मशान भूमि में एक ही चिता पर दोनों के शवों को बेटियों कृतिका व तारिणी ने मुखाग्नि दी तो आंखें नम हो गईं।
जनरल रावत के छोटे भाई पूर्व सैन्य अधिकारी 60 वर्षीय विजय रावत ने बताया कि तमिलनाडु रवाना होने से पहले मेरी उनसे (जनरल रावत से) बात हुई थी। उस समय पता नहीं था कि यह आखिरी बातचीत है।
जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी देने के साथ ही 33 सैन्यकर्मियों ने आखिरी विदाई दी। राष्ट्रपति के निधन पर 21 तोपों से सलामी देने की परंपरा है और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को 17 तोपों की सलामी दी जाती है।
अंतिम संस्कार के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिह, कानून मंत्री किरण रिजिजू समेत कई पूर्व सेना अध्यक्ष, फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लिनेन, ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस, बांग्लादेश, भूटान व कई अन्य देशों के अधिकारी व सेना के आठ सौ जवान मौजूद रहे। मौजूद हजारों लोगों ने भारत माता की जय, जनरल रावत अमर रहें , उत्तराखंड का हीरा अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, रावत जी का नाम रहेगा के नारे लगाए।
इससे पहले 3, कामराज मार्ग स्थित सरकारी आवास पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। अनेक गणमान्य व्यक्ति श्रद्धांजलि देने पहुंचे। यहां से दोपहर करीब सवा दो बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई। जनरल रावत को सर्वोच्च सम्मान देते हुए उनका पार्थिव शरीर गन कैरेज पर बरार स्क्वायर तक लाया गया।