उत्तराखंड

पहाड़ का हर व्यक्ति गैरसैंण राजधानी के लिए क़ुर्बानी को तैयार

मयाली में हुई आंदोलनकारियों की बैठक
मयाली (रुद्रप्रयाग)। आज जखोली ब्लॉक के मयाली में गैरसैंण स्थाई राजधानी को लेकर जन-मंथन संवाद किया गया। इस मौक़े पर सभी आंदोलनकारियों ने कहा कि गैरसैंण राजधानी के लिए पहाड़ का हर व्यक्ति किसी भी तरह की क़ुर्बानी के लिए तैयार है।

इस मौक़े पर वरिष्ठ आंदोलनकारी ललिता प्रसाद भट्ट ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जेपी आंदोलन के बाद सबसे बड़ा आंदोलन उत्तराखंड राज्य के लिए हुआ। जिसमें बच्चे से लेकर बूढ़ों ने सहभागिता निभाई। उत्तराखंड राज्य के लिए पहाड़ के लोगों ने अपना बलिदान तक दे दिया। दुःख इस बात का है कि सरकार जन भावनाओं के अनुरूप गैरसैंण राजधानी घोषित नहीं कर रही। पहाड़ से पलायन रोकना है तो तो गैरसैंण राजधानी बननी जरुरी है। इसके लिए एक बड़े जन आंदोलन को ज़रूरत है।

वयोवृद्ध आंदोलनकारी जगतराम सेमवाल ने कहा कि जब तक शरीर में प्राण है, गैरसैंण राजधानी के लिए संघर्ष करेंगे। पहले भी राज्य निर्माण के दौरान कई बार जेल गए। अब एक और लड़ाई के लिए तैयार हैं। प्रधान संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष महावीर सिंह पंवार और रामरतन पंवार ने कहा कि स्थाई राजधानी के लिए पहाड़वासी एक और लड़ाई लड़ेंगे। गैरसैंण हमारी ज़रूरत और आत्मा है। पहाड़ का विकास गैरसैंण राजधानी बनने से ही होगा।

आंदोलनकारी रमेश बेंजवाल और शत्रुघन सिंह नेगी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम गैरसैंण के मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई लड़ें। ज़िले में अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन किया जाएगा। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाना है। आंदोलनकारी नरेश भट्ट और प्रदीप सेमवाल ने आंदोलन को पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए जन-जागरण अभियान पर ज़ोर दिया।

आंदोलनकारी मोहित डिमरी ने राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को नमन करते हुए कहा कि हमें क़ुर्बानियों के बाद राज्य मिला है। हमारे आंदोलनकारियों ने क़ुर्बानी इसीलिए दी थी कि पहाड़ भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ पाएगा। लेकिन राज्य बनने के 17 सालों में पहाड़ पिछड़ता चला गया। हमें गैरसैंण और भविष्य में होने जा रहे परिसीमन को लेकर लड़ाई लड़नी है। इसके पहाड़ का युवा अपनी जान की बाज़ी भी लगाने के लिए तैयार है। हमें शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाना है। इसमें सभी की भागीदारी जरुरी है। हमें बेरोज़गार युवाओं के लिए लड़ना है। यहाँ के किसानों के लिए लड़ना है। गावों से पलायन कम कैसे हो, इसके लिए लड़ना है। हर उस तत्व से लड़ना है, जो पहाड़ के लिए घातक है।

बैठक में वयोवृद्ध आंदोलनकारी जगतराम सेमवाल जी, राज्य आंदोलनकारी ललिता प्रसाद भट्ट जी, प्रधान संगठन के अध्यक्ष महावीर सिंह पंवार जी, रामरतन पंवार जी, सतीश भट्ट जी, राकेश सिंह पंवार जी, हाथीराम कोठारी जी, पुरुषोत्तम चंद्रवाल जी, रमेश बेंजवाल जी, शत्रुघन नेगी जी, नरेश भट्ट जी, कुलदीप राणा जी, प्रदीप सेमवाल जी समेत अन्य कई लोग मौजूद थे।

इस मौक़े पर स्थानीय वाहन चालक कुंदन सिंह जी के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन भी रखा गया।

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