उत्तराखंड

शिक्षिका विमला की गढ़वाली कविता ने पथ चलन को बनाया मधुरिम..

शिक्षिका विमला की गढ़वाली कविता ने पथ चलन को बनाया मधुरिम..

सांस्कृतिक कला मंच ने किया फूलदेई महोत्सव का आयोजन..

 

 

 

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। सांस्कृतिक कला मंच तिलवाड़ा की ओर से बाल पर्व फूलदेई महोत्सव को भव्य रूप से मनाया गया। प्रातःकाल नगर पंचायत तिलवाड़ा क्षेत्र में फुलारी बच्चों ने झांकी निकाली, जिसमें नगर क्षेत्र की दस टीमों ने प्रतिभाग किया। फूलदेई की इस प्रभात फेरी झांकी में टीमों ने शिक्षिका और साहित्यकार व मंच की संयोजक विमला राणा की गढ़वाली कविता बसंत ऐगे पुगड़ियों मा फुलार एग्ये को गाकर पथ चलन को मधुरिम बना दिया।

विमला राणा की इस कविता को स्वर देने में शान्ति पंवार, कश्मीरा, हिमानी और संगीता नेगी ने सहयोग दिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मुख्य शिक्षा अधिकारी जनपद रुद्रप्रयाग विनोद प्रसाद सिमल्टी ने अपना संबोधन गढ़वाली भाषा में करते हुए इस पर्व के मनाने के उद्देश्यों और लाभों पर बात करते हुए नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराने के लिए जन-जन और बच्चों को बताने पर जोर दिया।

प्रधानाचार्य राइंका तिलकनगर डीएस राणा ने कहा कि आज के दौर में इस प्रकार के कार्यक्रमों की परम आवश्यकता है। नगर पंचायत अध्यक्ष संजू जगवाण ने फुलारी पर्व पर चर्चा करते हुए कहा कि इस सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन करने की जिम्मेदारी हम सबकी है। कार्यक्रम में शशिकांत सेमवाल और वीरेंद्र सिंह बिष्ट ने भी अपने विचार रखे।

फुलारी कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में तिलवाड़ा के युवा व्यापारी और सामाजिक कार्यकर्ता अंशुल जगवाण और हैप्पी असवाल का विशेष सहयोग रहा। सह संयोजक संगीता गौड़ ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी के साथ सभी अतिथियों व बच्चों का आभार व्यक्त कर बच्चों को शुभकामनाएं दी।

 

 

 

 

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