उत्तराखंड

उत्तराखंड की सियासत में इन पांच मुद्दों को लेकर छिड़ चुकी है सियासी जंग..

उत्तराखंड की सियासत में इन पांच मुद्दों को लेकर छिड़ चुकी है सियासी जंग..

 

 

 

 

 

 

 

 

 

महिलाओं और राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे पर सियासी जोर आजमाइश भी तेज है। भू कानून समिति की सिफारिशों पर छिड़े संग्राम ने सियासी पारा चढ़ा दिया है।

 

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश की सियासत में इन दिनों पांच प्रमुख मुद्दे खूब गरमा रहे है। इनमें विधानसभा व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती में नियुक्ति में धांधली और बैक डोर एंट्री की भर्तियों पर जांच का शिकंजा कस चुका है।

महिलाओं और राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे पर सियासी जोर आजमाइश भी तेज है। भू कानून समिति की सिफारिशों पर छिड़े संग्राम ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। विपक्ष जहां इन सिफारिशों को सिरे से खारिज करते हुए पिछले पांच वर्षों में बांटी गई भूमि का हिसाब मांग रहा है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सख्त भूमि कानून की दिशा में एक नए प्रयास के रूप में उनकी प्रशंसा कर रहे हैं।

 

 

भू कानून समिति की सिफारिशों से गरमा उठी सियासत

सीएम धामी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान सख्त भूमि नियमों की आवश्यकता का अध्ययन करने के लिए एक समिति की स्थापना की। सरकार को समिति की सिफारिशें मिली हैं, और अब इस पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। विपक्ष द्वारा विचारों को स्पष्ट रूप से खारिज किया जा रहा है, सत्तारूढ़ भाजपा सिफारिशों को भू सुधार की दिशा में मील का पत्थर बता रही हैं। भाजपा और कांग्रेस के मध्य आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई शुरू कर दी है।

आयोग की भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने कसा शिंकजा

विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक मामले की जांच में एसटीएफ पूरी तरह से शिकंजा कस चुका है। अब तक 34 संदिग्धों को जेल की हवा खिला दी गई है। सीबीआई जांच को लेकर सीएम का कहना है कि एसटीएफ की जांच अब सही दिशा में जा रही है।

विस में बैकडोर भर्ती जांच की किस पर कितनी आंच

वर्ष 2012-17 और वर्ष 2017-2022 के बीच विधानसभा में हुई बैकडोर भर्ती की जांच शुरू हो चुकी है। सबकी निगाहें जांच समिति पर लगी है। जांच की आंच से कौन कितना तपता है। कठघरे में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस सरकारों के स्पीकर के फैसले हैं। तीसरे दिन समिति ने विस के अधिकारियों की पेशी लगाई और पूछताछ की।

 

महिलाओं का क्षैतिज आरक्षण बचाने की चुनौती

उच्च न्यायालय द्वारा इसे बरकरार रखने के बाद प्रशासन के पास सरकारी पदों पर महिलाओं के लिए 30% क्षैतिज आरक्षण को बचाने का मुद्दा है। सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की नीति बना ली है। कार्मिक सचिव शैलेश बगौली के अनुसार न्यायालय में एसएलपी दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। वहीं कांग्रेस इस मामले को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है।

राज्य के आंदोलनकारियों के लिए सरकारी पदों में 10% क्षैतिज आरक्षण का विधेयक पुनर्विचार के लिए वापस भेजे जाने के बाद इस मुद्दे को लेकर राजनीति सियासत गरम है। नया विधेयक लाने की मांग उठ रही है। सरकार द्वारा दो विकल्प विकसित किए जा रहे हैं। पहला वह आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण को असांविधानिक करार देने वाले आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में नए सिरे से पैरवी करेगी। दूसरा, अध्यादेश लाने के विकल्प भी विचार शुरू हो गया है।

 

 

 

 

 

 

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