उत्तराखंड

देशवासियों को परेशान कर रही मोदी सरकार: नौटियाल

किसानों के हितों के लिए किया जाएगा बड़ा आंदोलन..

रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी और बसुकेदार में किसान संगठनों ने किया प्रदर्शन..

रुद्रप्रयाग:  केंद्र सरकार की ओर से कोविड-19 के दौरान लाए गए तीन किसान बिलों के खिलाफ जिला किसान सभा ने किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री सहित अडाणी और अम्बानी के पुतले भी दहन किए। अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा देशभर में चलाए जा रहे आंदोलन को लेकर जिला किसान सभा रुद्रप्रयाग ने भी जिले के विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन आयोजित कर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।

मुख्य बाजार में रैली प्रदर्शन के बाद जिला मुख्यालय पर आयोजित धरने को संबोधित करते हुए प्रांतीय महामंत्री गंगाधर नौटियाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी के राय मशवरा के लॉकडाउन की घोषणा कर देशवासियों को परेशान किया। साथ ही लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया, जिससे अनेक लोगों का रोजगार खत्म हुआ। भारतीय किसान सभा सहित देश के तीन सौ किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि कोविड-19 से लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए। देश के प्रति व्यक्ति को छः माह तक दस किलो राशन दी जाय।

 

 

प्रत्येक गैर आयकर परिवार के खाते में छः माह तक आय भरपाई के लिए सात हजार पांच सौ प्रतिमाह दिया जाय। मनरेगा में दो सौ दिन का काम छः सौ रुपये प्रतिदिन मजदूरी के हिसाब से दिया जाय। शहरी क्षेत्रों में भी मनरेगा को लागू किया जाय। कहा कि सरकार द्वारा जन सुविधा के बजाय जब संपूर्ण जनता को लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद किया गया तो अनेक श्रम कानूनों को खत्म करने के साथ-साथ रेल, बैंक, बीमा, ऊर्जा, बिजली कोयला आदि सार्वजनिक उद्योगों को एक साथ तीन कृषि विरोधी अध्यादेश लाकर राज्यों के अधिकार पर अतिक्रमण किया। कृषि राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मंडी तोड़कर किसानों की फसलों को बड़े-बड़े कारपोरेट घरानों को लूट के हिसाब से दिया गया। समर्थन मूल्य की गारंटी खत्म की गई। ठेका खेती का कानून बनाकर बड़े बड़े लोगों को लाभ पहुंचाकर किसानों की जमीन पर कब्जा कर उन्हें गुलाम बनाने की कार्रवाई की गई। इसका जमकर विरोध किया जाएगा। किसान, मजदूर, कर्मचारियों के अधिकारों के विरोध देश की ट्रेड यूनियनों ने भी नवम्बर माह में आंदोलन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन को लेकर दिल्ली चलो की घोषणा की गई।

 

 

किसान और मजदूर लगातार सरकार के खिलाफ आंदोलित है। सरकार ने मजदूर किसानों की मांग मानने के बजाय किसानों को दिल्ली जाने से रोका। इसके विरोध में हरियाणा व पंजाब के किसान लगातार संघर्ष कर रहे हैं। सरकार वार्ता के नाम पर किसानों की एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है। किंतु किसानों का आंदोलन पूरे देश भर में जारी है किसान सभा गांव गांव तक इस आंदोलन को लेकर जनता को एकजुट करेगी और सरकार के खिलाफ कानून समाप्त करने को आठ दिसंबर को भारत बंद के दौरान करोड़ों किसान सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे। इस मौके पर किसान सभा के नरेंद्र सिंह रावत सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।

वहीं गुप्तकाशी और बसुकेदार आदि स्थानों पर भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। गुप्तकाशी में प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम से माल एवं वीरेंद्र गोस्वामी द्वारा के नेतृत्व में रैली निकाली गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में किसान मजदूर मौजूद थे। वहीं अखिल भारतीय किसान सभा जिला कौंसिल ने किसान विरोधी कृषि कानून को निरस्त करने एवं देश में किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के समर्थन में गुप्तकाशी में रैली निकालकर सभा का अयोजन किया।

 

 

गुप्तकाशी बस अडडे में आयोजित सभा में किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम सेमवाल ने कहा कि दूरे देश में अन्नदाताओं की ओर से अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्णक आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन केन्द्र सरकार घोर जनतंत्र विरोधी व पूंजीपतियों के इशारों पर किसानों को बर्बाद करने वाले कृषि कानूनों को थोपने पर आमदा है।

कहा कि सरकार तानाशाही रवैया अपनाकर किसानों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। जिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। ऐसे कृषि कानूनों से किसान ही नहीं पूरा देश बर्बाद हो जाएगा। कहा कि अब देश का किसान जाग चुका है तथा किसान आर-पार की लडाई लडेंगे। कहा कि इस लडाई किसान सभा अपना पूरा समर्थन देगी। रैली में राजाराम सेमवाल, वीरेन्द्र गोस्वामी, अषाड सिंह, विजय सिंह, दयाल सिंह, सदानंद कोटवाल समेत कई किसान सभा के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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