केदारनाथ के 128 और यात्रा पड़ाव के 120 व्यापारियों को दी जानी हैं दुकानें..
व्यापारियों के सामने भुमखरी की नौबत..
उत्तराखंड: 16-17 जून 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम पूरी तरह से तबाह हो गया था। जहां हजारों यात्रियों की जाने गई थी, वहीं लोगों के रोजगार के साधन भी आपदा में तबाह हो गये थे। आपदा को सात साल पूरे हो चुके है, लेकिन केदारनाथ धाम सहित पैदल यात्रा मार्ग और पड़ावों पर दुकानों का संचालन करके अपनी रोजी रोटी चलाने वाले व्यापारियों को अभी तक दुकानों का आंवटन नहीं हो पाया है। ऐसे में व्यापारियों के सामने रोजी रोटी का संकट बन गया है। व्यापारियों का कहना है कि उन्हें इस यात्रा सीजन में रोजगार नहीं मिलता है तो वह आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
केदारनाथ आपदा को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आपदा ने देश-विदेश के यात्रियों के साथ ही केदारघाटी के लोगों को गहरे जख्म दिये हैं। इस आपदा में केदारनाथ धाम में सबकुछ बह गया था। हजारों लोगों की जाने तो गई ही, साथ ही उनके रोजगार के साधन भी छिन गये। स्थानीय लोग दुकान, होटल, ढ़ाबे आदि का संचालन करके अपनी रोजी रोटी चलाते थे, लेकिन आपदा के बाद से कई लोग आज भी बेरोजगार हैं।
आपदा पीड़ित व्यापारियों ने कहा कि आपदा को सात साल का समय बीत गया है, लेकिन उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल पाया है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केदारनाथ आ चुके हैं और उन्हें भी समस्या से अवगत कराया गया, जबकि मुख्यमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्री कई बार केदारनाथ आ चुके हैं, जो सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ आपदा से नगर पंचायत केदारनाथ के 128 व्यापारी आज भी रोजगार को लेकर भटक रहे हैं, जबकि गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग के 120 लोगों को भी रोजगार नहीं मिल पाया है। व्यापारियों के सामने भुखमरी जैसी नौबत आ गयी है। व्यापारी भीख मांगने के लिए मजबूर हो गए हैं। कहा कि सरकार एक ओर तीर्थाटन और पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कर रही है, दूसरी ओर जो व्यापारी आपदा से प्रभावित हैं उनको पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है।