उत्तराखंड

संकट में हाथी, छह माह में तीन हाथियों की मौत

छ: महीनों में तीसरे हाथी की मौत

सुमित जोशी

रामनगर(नैनीताल)। तराई पश्चिम वन प्रभाग अब हाथियों की कब्रगाह बनता जा रहा है। छ: महीने में हुई तीसरे हाथी की मौत से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है तो वहीं हाथियों की मौत से अब विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं।

अभी हाथी दांत समेत तस्वीरों को पकड़ने और हाथी के शव को दफनाने का मामला शांत हुआ था कि शनिवार सुबह गस्त के दौरान वन कर्मियों को तराई पश्चिमी वन प्रभाग के आमपोखरा रेंज की शिवनाथपुर पूर्वी बीट में मादा हाथी शव पड़ा मिला। जानकारी मुताबिक वन कर्मियों उस क्षेत्र में गस्त कर रहे थे तभी उन्हें गंध महसूस हुई। तलाश करने पर वन कर्मियों को झाडियों में मादा हाथी का शव पड़ा मिला। शव मिलने की सूचना पर वन अधिकारी मौके पर पहुंच गए। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने निरीक्षण कर बताया कि मृत मादा हाथी की उम्र करीब 60 वर्ष रही होगी। और बताया की उसकी मौत स्वभाविक है। जिसके बाद जंगल में ही मादा हाथी के शव का पोस्टमार्टम कर उसे नष्ट कर दिया गया।

इस साल हुई तराई पश्चिमी वन प्रभाग में हुई हाथियों की मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो मई में वन प्रभाग की फीका बीट में हाथी की मौत उपचार के दौरान हो गई थी। इसके अलावा अक्टूबर में आमपोखरा रेंज से एक वन गुज्जर को हाथी दांत के साथ पकड़ा था। जिसके बाद हुई जांच में हाथी को मारकर दफनाने का मामला सामने आया था। जिसके बाद दो अधिकारियों को बर्दाश्त भी कर दिया गया था। शनिवार को हाथी की मौत भले ही स्वभाविक हो लेकिन सवाल विभाग के रवैये पर उठना लाजिमी है।

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