उत्तराखंड

रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना भर्ती पर लगाई रोक..

रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना भर्ती पर लगाई रोक..

 

 

 

 

 

 

 

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना की भर्ती रैली पर रोक लगा दी। गढ़वाल और कुमाऊं में इसकी एक-एक बटालियन और चार कंपनियां हैं। 2018 से उत्तराखंड सरकार ने पूर्व सैनिकों के इको टास्क फोर्स जिन्हें ग्रीन सोल्जर्स के रूप में भी जाना जाता है

 

 

 

 

उत्तराखंड: केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने खंडूड़ी सरकार में बनीं प्रादेशिक सेना की भर्ती रैली पर रोक लगा दी। गढ़वाल और कुमाऊं में इसकी एक-एक बटालियन और चार कंपनियां हैं। 2018 से उत्तराखंड सरकार ने पूर्व सैनिकों के इको टास्क फोर्स जिन्हें ग्रीन सोल्जर्स के रूप में भी जाना जाता है की प्रतिपूर्ति के लिए रक्षा मंत्रालय को भुगतान करना बंद कर दिया, जिससे इस पर रोक लगी है।

रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए बयान में कहा गया हैं कि बटालियन व इससे जुड़ी कंपनियों को अगले साल 132 करोड़ के बकाया कर्ज के कारण बंद कर दिया जाएगा।प्रदेश के गढ़वाल और कुुमाऊं मंडल के बंजर पहाड़ों को हरा-भरा करने के लिए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की सरकार में साल 2012 में गढ़वाल में 127 इन्फैंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) इको टास्क फोर्स की स्थापना की गई थी, जबकि कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ में 130 इनफैंट्री बटालियन ईटीएफ की स्थापना की गयी थी।

तब से, दो बटालियनों और उनकी दो-दो कंपनियों के 400 पूर्व सैनिक और आठ सैन्य अधिकारियों ने तभी से बंजर पहाड़ों को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाए हैं, लेकिन राज्य सरकार वर्ष 2018 से केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को पूर्व सैनिकों को दिए गए वेतन एवं प्रोजेक्ट पर आने वाले खर्च का भुगतान नहीं कर रही हैं। यह अब बढ़कर 132 करोड़ हो चुका है। सेना के एक अधिकारी का कहना हैं कि रक्षा मंत्रालय ने कथित तौर पर भर्ती रैली स्थगित कर दी है भर्ती रैली न होने से ईटीएफ में पूर्व सैनिकों की संख्या लगातार घटती जा रही है। मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि अगले साल तक भुगतान नहीं होने पर इनफैंट्री बटालियन ईटीएफ को रद्द कर दिया जाए।

ग्रीन सोलर्ज्स ने पहाड़ियों और जंगलों को किया पुनर्जीवित..

चमोली जिले के माणा, देहरादून के मसूरी, पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी आदि क्षेत्रों की बंजर पहाड़ियों को पुनर्जीवित करने में ईटीएफ का अहम योगदान रहा है। यही वजह है कि वर्ष 2012 में इसे अर्थ केयर अवार्ड, वर्ष 2008 में बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोयायटी ग्रीन गर्वनेंस अवार्ड सहित कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है।

ईटीएफ में कार्यरत पूर्व सैनिकों की सामरिक दृष्टि से भी अहम भूमिका है। भारत-चीन सीमा से लगे गांवों में वे फलदार पौधे लगाते हैं। एक बटालियन हर साल 800 हेक्टेयर में आठ लाख पेड़ लगाती है।

 

 

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top