उत्तराखंड

रोजाना नई परेशानियां खड़ी कर रहा कोरोना, अब इन बीमारियों को दे रहा दावत..

रोजाना नई परेशानियां खड़ी कर रहा कोरोना, अब इन बीमारियों को दे रहा दावत..

उत्तराखंड: कोरोना संक्रमण अब हर रोज नई-नई परेशानियां खड़ी कर रहा है। न्यूरो सर्जन का कहना हैं कि संक्रमित मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस और मिर्गी की शिकायतें भी हो रही हैं। ऐसे में संक्रमण के दौरान या बीमारी से ठीक होने के बाद यदि बहुत अधिक चक्कर आएं, या हाथ-पैरों में सुन्नपन महसूस हो तो तुरंत न्यूरो फिजीशियन को दिखाने की जरूरत है।

 

सीएमआई अस्पताल के निदेशक एवं न्यूरो सर्जन डॉ. महेश कुड़ियाल का कहना है कि उनके पास बीते 12 दिनों में 15 ऐसे मरीज आए जो ब्रेनस्ट्रोक, मिर्गी और पैरालाइसिस आदि न्यूरो संबंधी बीमारियों से ग्रसित थे। न्यूरो संबंधी बीमारियों से जूझ रहे ये सभी मरीज कोरोना संक्रमण से ग्रसित हैं या फिर इलाज कराने के बाद ठीक हो चुके हैं।

 

डॉ. कुड़ियाल के अनुसार कोरोना संक्रमण की वजह से कई मरीजों के शरीर में खून का थक्का बनने की प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। शरीर में खून का थक्का बनने से कई मरीजों को हार्टअटैक हो रहा है। जिससे कई मरीजों में ब्रेनस्ट्रोक, पैरालाइसिस और मिर्गी के दौरे की शिकायतें हो रही हैं। हालांकि न्यूरो से जुड़ी यह सभी गंभीर बीमारियां बहुत कम मरीजों में देखने को मिल रही हैं। फिर भी मरीजों को थोड़ा एहतियात बरतने की जरूरत है।

 

मैक्स अस्पताल के चेयरमैन व वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. एके सिंह का कहना हैं कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस और मिर्गी की गिरफ्त में आ रहे हैं। कई मरीज याददाश्त कम होने की शिकायत दर्ज करा रहे हैं। फिलहाल कोरोना संक्रमित मरीजों या फिर इलाज के बाद ठीक हो चुके इसमें मरीजों को बहुत अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।

 

इसचेमिक  स्ट्रोक को बढ़ावा दे रहा खतरनाक कोरोना..

महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पंकज अरोड़ा के अनुसार कोरोना हार्टअटैक के साथ ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस और मिर्गी को भी दावत दे रहा है। संक्रमित मरीजों में इसचेमिक स्ट्रोक की समस्या देखने को मिल रही है।

ओपीडी में बड़ी संख्या में ब्रेनस्ट्रोक से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। पिछले दो माह के भीतर ऐसे मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। ओपीडी में ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही पैरालाइसिस और मिर्गी के दौरे से पीड़ित मरीजों का ग्राफ बढ़ा है। हालांकि समय पर अस्पताल पहुंचने वाले ज्यादातर मरीजों की जिंदगी बचा ली गई है।

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