उत्तराखंड

बद्री-केदार में नुकसान की आशंका से चारधाम महापंचायत परेशान..

बद्री-केदार में नुकसान की आशंका से चारधाम महापंचायत परेशान..

शीतकाल के समय धामों में चल रहे निर्माण कार्यो पर जताई चिंता..

शीतकाल के समय तपस्या में लीन रहते हैं भगवान शंकर..

धाम के आस-पास जाकर तपस्या में विघ्न डालने का किया जा रहा काम..

हिमालय में भी देखने को मिल रहा है परिवर्तन, आने वाले भविष्य के लिए अशुभ संकेत..

बद्री-केदार की परम्पराओं के साथ किया जा रहा है खिलवाड़: त्रिवेदी..

 

 

 

 

रुद्रप्रयाग। चमोली जिले के जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव के बाद केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में भी कोई बड़ा नुकसान होने की आशंका नजर आ रही है, जिसको लेकर चारधाम महापंचायत को चिंता सताने लगी है। चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष एवं केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी की माने तो आपदा के बाद से केदारनाथ धाम में शीतकाल के समय भी पुनर्निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जबकि बद्रीनाथ धाम में कई बड़े निर्माण कार्य गतिमान हैं। ग्रीष्मकाल में जहां नर भगवान केदारनाथ और बद्री विशाल की पूजा-अर्चना करते हैं, वहीं शीतकाल में देवता दोंनो धामों की पूजा करते हैं। ऐसे में दोनों धामों की परम्परा के साथ खिलवाड़ हो रहा है, जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।

बता दें कि चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव होने से हजारों परिवार बेघर हो चुके हैं। इस भूधंसाव का कारण एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना को बताया जा रहा है। जोशीमठ के ठीक नीचे परियोजना के निर्माण से आज बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। लोगों को हर समय चिंता सता रही है। शासन-प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों एव विधायकों ने जोशीमठ में डेरा डाला हुआ है। जबकि विपक्ष भी मजबूती के साथ प्रभावितों के साथ खड़ा नजर आ रहा है। जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव की घटना के बाद अब चारधाम महापंचायत को केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की चिंता भी सताने लगी है।

महापंचायत के उपाध्यक्ष एवं केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि जोशीमठ की आपदा से सभी लोग भलीभांति वाकिफ हैं। पहाड़ की भूमि को राक्षसों ने खोदकर रख दिया है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी जिलों में हो रहे विकास कार्य तो दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन विनाश का मंजर हर तरफ नजर आ रहा है। लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ में भी विनाश किया जा रहा है।

दोनों धामों के तीर्थ पुरोहितों एवं स्थानीय लोगों को नहीं पूछा जा रहा है और अपनी मनमानी से कार्य किये जा रहे हैं। महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में छः माह ग्रीष्मकाल में नर पूजा-अर्चना करते हैं, जबकि छः माह दोनों धाम में कपाट बंद रहते हैं और यहां पर देवता पूजा करते हैं। मगर आपदा के बाद से केदारनाथ धाम में शीतकाल के समय पुनर्निर्माण के कार्य तेजी से किये जा रहे हैं।

केदारनाथ धाम में भगवान शंकर की तपस्या में विघ्न पैदा किया जा रहा है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसे समय से रोका जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि वायु सेना के चिनूक हेलीकाॅप्टर की मदद से भारी मशीनों को केदारनाथ और बद्रीनाथ पहुंचाया जा रहा है। चिनूक की गर्जना से हिमालय पर बुरा असर पड़ रहा है, जबकि वन्य जीव जंतु भी इसका शिकार हो रहे हैं। जब से केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य शीतकाल में किये जाने लगे हैं, तब से हिमालय में परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जो आने वाले भविष्य के लिए किसी अशुभ संकेत से कम नहीं है।

केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ में जो लोग रह रहे हैं, वे धाम की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं, जबकि शीतकाल के समय केदारनाथ मंदिर के आस-पास भी जाना परम्परा के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि सरकार और शासन-प्रशासन को चेताने के बाद भी कोई सबक नहीं लिया जा रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम नहीं बचने वाला है।

 

 

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