उत्तराखंड

चंपावत उपचुनाव: तामली गांव में मुख्यमंत्री के पहुंचने पर लोगों में नहीं दिखा उत्साह..

चंपावत उपचुनाव: तामली गांव में मुख्यमंत्री के पहुंचने पर लोगों में नहीं दिखा उत्साह..

तामली गांव में न तो पानी है और ना ही स्वास्थ्य-शिक्षा की सुविधा..

 

 

 

 

चंपावत का तल्लादेश आज भी पुराना जीवन जीने को मजबूर है। सीएम से उम्मीद है कि उनकी समस्याओं को कुछ हद तक दूर करने में कामयाब होंगे। पानी को यहां की जनता संघर्ष कर रही है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव लड़ने से चंपावत के दूरस्थ गांव तामली के लोगों में विकास की आस जरुर जगी है।

 

उत्तराखंड: भाजपा सरकार को लगातार दूसरी पंचवर्षीय सत्ता मिली है। लेकिन चंपावत का तल्लादेश आज भी पुराना जीवन जीने को मजबूर है। सीएम से उम्मीद है कि उनकी समस्याओं को कुछ हद तक दूर करने में कामयाब होंगे। पानी को यहां की जनता संघर्ष कर रही है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव लड़ने से चंपावत के दूरस्थ गांव तामली के लोगों में विकास की आस जरुर जगी है। ग्रामीण आज भी पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को संघर्ष कर रहे हैं।

आजादी के सात दशक बीतने के बावजूद भी सीमांत तल्लादेश के कई गांव पिछड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बीते रविवार को यहां पहुंचे तो लोगों ने उनके सामने समस्याओं का अंबार खड़ा कर दिया। ग्रामीणों का कहना हैं कि सबसे बड़ी किल्लत पानी की है। हालात यह हैं कि इस गांव में पानी का सुबह के समय बंटवारा होता है। सुबह 6 से 7 बजे तक एक घंटा गांव के लोगों को बारी बारी से पानी बांटा जाता है। जिसके बाद दिनभर नौले में ताला लगा दिया जाता। साथ ही स्वास्थ्य सुविधा को लेकर बताया कि अचानक अगर गांव में की व्यक्ति की तबीयत खराब हो गई तो वाहन बुक करा कर 55 किमी दूर चम्पावत मुख्यालय जाना पड़ता है।

तल्लादेश के कई ऐसे गांव हैं जहां सुविधाओं के साथ सूचना प्रसारण का भी अभाव है। हालात यह हैं गांव के कुछ लोगों से बात की तो उन्हें ये भी पता नहीं था कि उपचुनाव क्यों हो रहा है। तल्लादेश की महिलाओं का कहना हैं कि पानी ढोने में ही सारा दिन बीत जाता है। जिले के भीतर अगर कोई बात हो जाए तो कभी कभार दूसरे दिन सूचना मिलती है।

 

 

 

 

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