उत्तराखंड

22 साल बाद शीतकाल में खुली रहेगी बुगड़ियार चौकी..

22 साल बाद शीतकाल में खुली रहेगी बुगड़ियार चौकी..

उत्तराखंड: पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन से तनाव के बीच 22 साल बाद इस बार भारत-चीन सीमा पर स्थित भारतीय सेना की बुगड़ियार चौकी शीतकाल में भी खुली रहेगी। कड़ाके की ठंड में हिमवीर सीमा की चौकसी में तैनात रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक आईटीबीपी ने शीतकाल में चौकी शिफ्ट न करने का फैसला लिया है। यहां जवान सीमा की निगेहबानी में मुश्तैद रहेंगे। गतिविधियों के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ही रहेंगे। यह पहला अवसर होगा जब चीन सीमा पर आठ से 12 फीट बर्फ में भी चहल-पहल रहेगी।

 

भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में आईटीबीपी ने पांच चौकियां स्थापित की हैं। इनमें से एक चौकी बुगड़ियार को पिछले साल तक शीतकाल में लीलम शिफ्ट किया जाता था। लेकिन इस बार शीतकाल में भी चौकी खुली रहेगी। सूत्रों के मुताबिक आईटीबीपी ने यह फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक 22 सालों में यह पहला मौका होगा जब चौकी में 25 से अधिक जवान बर्फबारी व माइनस 10 डिग्री तापमान में भी सीमा सुरक्षा में मुश्तैद रहेंगे। यह देश के लिए गौरव की बात है। हालांकि इस मामले की सेना की तरफ से आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

 

वर्ष 1989 में 6 से अधिक जवानों की ग्लेशियर में दबने से हुई थी मौत..

2800 मीटर ऊंचाई पर स्थित बुगड़ियार चौकी में वर्ष 1989 से पहले भी शीतकाल में जवानों की तैनाती होती थी। लेकिन तब घटी एक घटना के बाद चौकी को शीतकाल में बंद करना पड़ा था। 22 वर्ष पहले हिमस्खलन से चौकी तबाह होने से 6जवानों की बर्फ में दबकर मौत हो गई थी। जिसके बाद शीतकाल में नवंबर से अप्रैल माह तक चौकी लीलम शिफ्ट होती रही है।

 

पिछले साल हिमस्खलन से सेना के तीन भवन दबे..

बर्फबारी का मौसम बुगड़ियार चौकी में तैनात जवानों के लिए हमेशा ही चुनौती खड़ी करते रहा है। बावजूद इसके इन जवानों का हौसला कम नहीं होता। पिछले वर्ष भी इसी चौकी में ग्लेशियर टूटने से आईटीबीपी के 3 भवन बर्फ में दब गए थे। हालांकि घटना के समय चौकी में तैनात जवानों को लीलम में शिफ्ट किया गया था।

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