उत्तराखंड

जुलाई माह में खिलने वाला ब्रह्मकमल जून माह के पहले सप्ताह में खिला

15 हजार फिट की ऊंचाई पर प्राकृतिक रुप से उगता है ब्रहम कमल
केदारनाथ पुलिस के अथक प्रयास से 11 हजार 600 फिट पर उगाया यह पुष्प
ब्रहम बाटिका में खिले हैं 45 फूल, औषधीय गुणों में बनती है कैंसर की दवा
हर दिन पहुंच रहे हैं सैकडों तीर्थयात्री,

वाटिका को अपने संरक्षण में लेने की पुलिस ने शासन से की मांग

प्रदेश के मुख्य सचिव भी कर चुके हैं वाटिका की तारीफ

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम 11 हजार 600 फीट की ऊंचाई पर है। यहां पर बुग्यालों के अलावा कुछ भी नहीं है। ऐसे में एक छोटी सी वाटिका में 45 ब्रहम कमलों के खिलने से वाटिका की शोभा पर चार चांद लग रहे हैं। यही नहीं यहां पर एक रुद्राक्ष और भारी संख्या में भृंगराज के पौधे भी बडे़ हो रहे है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में करीब पन्द्रह हजार फीट की ऊंचाई पर होने वाला यह प्राकृतिक पौधा केदारनाथ पुलिस द्वारा रोपित किया गया है।

वेद पुराणों में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब शिव की आराधना की थी तो भगवान ने उन्हें भी दर्शन नहीं दिये। तब विष्णु ने अपनी आंख निकालकर शिव को अर्पित की, जो कि ब्रहम कमल बना। मान्यता है कि यह शिव का सबसे पसंदीदा पुष्प है और औषधीय गुणों से भरपूर है। कैंसर की दवा के रुप में इसका प्रयोग किया जाता है।

केदारनाथ आपदा के बाद वर्ष 2015 में पुलिस को बेस कैम्प में चैकी के लिए जगह दी गयी थी। दिन रात धाम में अपनी ड्यूटी देने के बाद भी पुलिस के चैकी इंचार्ज विपिन पाठक के अथक प्रयासों से यह पहल शुरु हुई और आज मेहनत रंग लाई है। श्री पाठक का अब सरकार से अनुरोध है कि वाटिका को अपने संरक्षण में लिया जाय, जिससे और अधिक तेजी से पूरे धाम में ब्रहम कमलों को खिलाया जा सके।

केदारनाथ पहंुच रहे तीर्थयात्री इस दुर्लभ ब्रहमकमल को अपने सामने देखकर काफी प्रसन्न हो रहे हैं। उनकी माने तो ब्रह्मकमल का केदारनाथ में खिलना भगवान भोले का आशीर्वाद है। तीर्थयात्रियों ने पुलिस टीम की जमकर तारीफ की। तीर्थ पुरोहित प्रेम प्रकास जुगराण, तीर्थयात्री विजय शर्मा, ने कहा कि केदारनाथ में औषधीय गुणों से भरपूर बह्मकमल का उगाया जा रहा है। यह पुष्प प्रकृति के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
केदारनाथ में तैनात एसआई बिपिन पाठक ने ब्रह्मकमल को उगाने में दिन रात मेहनत की है। उनकी यह मेहनत पुलिस प्रशासन के लिए गर्व की बात है। ब्रह्मकमल के साथ ही सब्जियों का उत्पादन भी केदारनाथ में किया जा रहा है। पाठक का यह कार्य सराहनीय है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top