बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ से चिंतित सरकार लेने जा रही है ये फैसला..
उत्तराखंड: प्रदेश में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ की सूचना ने राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है। जिसके बाद राज्य सरकार कई अहम फैसले लेने जा रही है आपको बता दें सूचना विभाग द्वारा राज्य सरकार को यह सूचना मिली है कि प्रदेश में रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठ हो सकती है जो कि भविष्य के लिए राज्य के जनसांख्यिकी सामाजिक व धार्मिक संस्कृति के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है।
उसकी चिंता मैदानी जिलों में एक समुदाय की तेजी से बढ़ती आबादी भी है। माना जा रहा है कि खुफिया तंत्र से प्राप्त सूचनाओं की पुष्टि होने के बाद सरकार कम से कम हिंदू तीर्थ वाले नगरों में जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर सख्त कानून बना सकती है।
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सरकार को खुफिया एजेंसियों से ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि राज्य के तीर्थ स्थल जिनमें चारधाम, हरिद्वार और ऋषिकेश में पिछले सालों में तेजी से आबादी बढ़ी है। हिंदू संगठन लंबे समय से यह आशंका जाहिर कर रहा हैं कि प्रदेश में एक साजिश के तहत एक समुदाय के लोगों को असम की तर्ज पर उत्तराखंड में बसाया जा रहा है। कई संगठन इस संबंध में सरकार से ध्यान देने की भी मांग कर चुके हैं।
सरकार की चिंता के कारण..
1- पिछले दो दशक में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गांव तेजी से खाली हुए हैं।
2- स्थानीय व मूल निवासियों से खाली हो रहे पहाड़ में गैर हिंदू आबादी का पलायन हो रहा है।
3- वे स्थानीय लोगों की भूमि खरीद रहे हैं और वहां बस रहे हैं।
4- चारधाम, ऋषिकेश और हरिद्वार में भी तेजी से आबादी बढ़ी है।
5- सरकार को रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की घुसपैठ की आशंका है।
6- एक समुदाय विशेष की आबादी में 35 प्रतिशत की वृद्धि भी चिंता।
7- पहाड़ों और वनों में अपराधियों की शरणस्थली बनने की आशंका।
राज्य के कुछ क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव के कारण पलायन की सूचनाओं के बाद सरकार के हरकत में आने पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना हैं कि राजनीतिक फायदे के लिए किसी समुदाय विशेष को निशाना बनाया जाता है, तो इस विषय पर गंभीर चिंतन होना चाहिए। सरकार को डेमोग्राफी में बदलाव को लेकर मिली शिकायतों के बाद शासन ने सभी जिलों के डीएम व एसएसपी को सख्त कदम उठाने और जिला स्तरीय समितियों के गठन के भी निर्देश दिए हैं।
साथ ही यह भी कहा गया है कि क्षेत्र विशेष में भूमि की खरीद-फरोख्त पर कड़ी नजर रखी जाए। शासन के इस कदम के तत्काल बाद कांग्रेस ने सवाल उठा दिए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर का क्षेत्रवार अध्ययन करना आवश्यक है। दक्षिण भारत में सभी समुदायों, धर्मों के लोगों की जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय वृद्धि दर से नीचे या समान है। जिन राज्यों में अशिक्षा व कुपोषण है, स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं, उन राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर गरीब तबके में, जिनमें सभी जाति-धर्मों के लोग शामिल है।
इसके साथ ही रावत ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि सरकार जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय करे, इसमें किसी का विरोध नहीं हो सकता, लेकिन किसी क्षेत्र विशेष को, समुदाय विशेष को निशाना बनाकर उसका राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस तरीके के प्रयास होते हैं और उसमें प्रशासन को इस्तेमाल किया जाता है, तो यह विषय विचारणीय है, इस पर गंभीर चिंतन होना चाहिए।