उत्तराखंड

वृक्षमित्रों की बाल टीम हो रही तैयार

सुमित जोशी

रामनगर (नैनीताल)। “मोम को जिस सांचे में ढालो वो वैसी ही स्वरूप ले लेता है। उसी तरह बच्चे भी मोम की तरह कोमल होते हैं उन्हें बचपन से जिस सांचे में ढाला जाता है वो वैसे ही गुणों का अर्जन करते हैं।” इसी संकल्पना के साथ बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक पहल कल्पतरु वृक्षमित्र संस्था द्वारा की जा रही है। संस्था द्वारा क्षेत्र के स्कूली बच्चों को रामनगर में बने फाइकस गार्डन से जोड़ा गया है। जहां उन्हें वृक्षारोपण के तौरतरीके सिखाए जा रहे हैं। बच्चों की इस टीम को बाल वृक्षमित्र नाम दिया गया है। कल्पतरु की इस पहल को बच्चों के परिजन भी सराह रहे हैं।

क्षेत्र में दो वर्षों से पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रही संस्था कल्पतरु वृक्षमित्र समिति ने एफआरआई में वन क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात मदन सिंह बिष्ट के मार्गदर्शन में रामनगर वन प्रभाग की करीब तीन बीघा भूमि पर बने स्मृति वन में देश का पहला फाइकस गार्डन स्थापित किया। जहां 1500 से ज्यादा फाइकस प्रजाति के पीपल, बेल, पिलखन, पाकड़ आदि के पौधे लगाए गए हैं। फाइकस प्रजाति का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही कई धार्मिक मान्यता भी इनके साथ जुड़ी हुई है। जिसको स्थापित करने में यहां की जनता, व्यापारियों, स्कूली बच्चों का अहम योगदान रहा। दो महीने की कड़ी मस्तक के बाद हरेला पर्व के दिन यहां की जनता को समर्पित कर दिया गया। जो कार्बेट पार्क पहुंचने वाले सैलानियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

इसी के साथ कल्पतरु वृक्षमित्र समिति द्वारा बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से फाइकस गार्डन से क्षेत्र के तमाम स्कूलों के बच्चों को भी जोड़ा है। जिस टीम को बाल वृक्षमित्र नाम दिया गया है। इस टीम में 50 से अधिक बच्चे जुड़े हैं। जो हर रविवार को फाइकस गार्डन में अपना तीन घंटे का समय देते हैं। जहां उन्हें पौधरोपण के तरीकों प्रशिक्षण दिया जाता है साथ ही और गार्डन में लगे फाइकस प्रजाति के पौधों के विषय में भी जानकारी दी जाती है। कल्पतरु द्वारा बच्चों को जोड़ने की इस पहल का बच्चों के परिजन तो सराह ही रहे हैं साथ ही उनके शिक्षक भी अपना पूरा योगदान फाइकस गार्डन को दे रहे हैं।

फाइकस गार्डन आने वाले समय में शोधार्थी छात्रों के लिए शोध का एक स्थान बनेगा साथ ही शैक्षणिक पर्यटन के केंद्र के रूप में भी विकसित होगा। जिससे क्षेत्र में पौधे की विभिन्न प्रजातियों के विषय में जानकारी रखने वाले युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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