उत्तराखंड

मां-बाप की लापरवाही बच्चों पर पड़ रही भारी

केदारनाथ में कई घंटों तक मां-बाप से बिछड़ रहे छोटे-छोटे बच्चे
खुल पैदल चलकर मां-बाप बच्चों को सौंप रहे हैं घोड़े-खच्चर और पीठू संचालकों के पास
पुलिस और प्रशासन मां-बाप से खोये हुये बच्चों के लिये बन रहा मसीहा
रुद्रप्रयाग। देश-विदेश से भगवान केदारनाथ के दर्शनों के लिये आये दिन हजारों तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं। प्रत्येक दिन अब केदारनाथ में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या 20 हजार तक पहुंच चुकी है। इन्ही यात्रियों में से कई यात्री ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों के प्रति लापरवाह बने हुये हैं। आये दिन कई बच्चे केदारनाथ धाम और केदारनाथ पैदल मार्ग पर कुछ समय के लिये गायब हो जा रहे हैं। बाद में कई घटों की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस और प्रशासन इन बच्चों को उनके माता-पिता से मिला रही है।

बीते 15 से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। आये दिन लगभग 10 हजार यात्री गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग से बाबा केदार के दर्शनों के लिये पहुंच रहे हैं। देश-विदेश से केदारनाथ यात्रा पर ऐसे भी तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं। जो छोटे-छोटे एक साल से पांच सात तक के अपने बच्चों को भी यात्रा पर ला रहे हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग की दूरी तय करना हर किसी यात्री के बस की बात नहीं है। रामबाड़ा तक तो यात्री चले आते हैं, लेकिन इससे आगे यात्री हार जाता है। ऐसे में तीर्थ यात्री अपने बच्चों को घोड़े-खच्चर या पीठू चलाने वाले नेपाली को सौंप देते हैं और खुद पैदल चलते हैं। घोड़े-खच्चर संचालक और पीठू चलाने वाले नेपाली मजदूर जल्दी केदारनाथ पहुंच जाते हैं, लेकिन मां-बाप पीछे ही छूट जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के गायब होने की सूचना मिलती रहती है। जब बच्चों के मां-बाप या फिर बच्चें नहीं मिलते हैं तो मां-बाप केदारनाथ धाम में रोना शुरू कर देते हैं।

अभी तक केदारनाथ में 15 बच्चे कुछ समय तक के लिये गायब हो गये हैं। जिन्हें बाद में पुलिस एवं प्रशासन की टीम ने सुरक्षित निकाला है। एक नया मामला बनारस से आये हुये यात्रियों के साथ देखने को मिला। बनारस से पति-पत्नी अपने दो वर्ष के बच्चे के साथ भगवान केदारनाथ की यात्रा पर आये थे। गौरीकुंड से पति-पत्नी ने केदारनाथ के लिये दो घोड़े किये। जबकि अपने दो साल के बच्चे को एक नेपाली मजदूर के पास सौंप दिया और केदारनाथ में मिलने की बात कर दी। इस बीच घोड़े में सवार पति-पत्नी तो केदारनाथ पहुंच गये, लेकिन बच्चा रास्ते में ही छूट गया। जब कई घंटो के बाद बच्चा नहीं मिला तो पति-पत्नी केदारनाथ पुलिस चैकी में पहुंचे और रोना शुरू कर दिया। इस बीच पूरी पुलिस टीम बच्चे को ढूढने में लग गई। पुलिस ने केदारनाथ से गौरीकुंड तक 18 किमी पैदल मार्ग पर बच्चे को ढूंढा, लेकिन लगभग चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चा मंदिर के निकट नेपाली मजदूर के पास सुरक्षित मिला।

केदारनाथ में इस प्रकार से कुछ समय के लिये खो रहे बच्चों के प्रति मां-बाप ही लापरवाह बने हैं। यदि पुलिस और प्रशासन सक्रिय न हो तो अधिकाश बच्चे गायब हो सकते हैं। केदारनाथ से गौरीकुंड तक लगभग दस हजार मजदूर काम कर रहे हैं, जो घोड़े-खच्चरों और पीठू का संचालन करते हैं। ऐसे में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि कब क्या घटना हो जाय। बच्चों के सुरक्षित मिलने पर हालांकि मां-बाप पुलिस और स्थानीय प्रशासन का आभार भी व्यक्त कर रहे हैं। केदारनाथ पुलिस गायब हो रहे बच्चों के लिये मसीहा बनकर उभर रही है। अभी तक केदारनाथ पुलिस ने 15 ऐसे बच्चों को सुरक्षित अपने मां-बापों से मिलाया है, जो रास्ते में गायब हो गये थे। केदारनाथ पुलिस चैकी इंचार्ज बिपिन चन्द्र पाठक ने बताया कि कई बार बच्चों को खोज निकालना मुश्किल हो जाता है, लेकिन पुलिस, एसडीआरएफ, होमगार्ड और पीआरडी के जवान मिलकर बच्चों को सुरक्षित ढंढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि मां-बाप को अपने बच्चों के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिये।

गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग का सफर कई दुश्वारियों से भरा है। खड़ी चढ़ाई होने के साथ-साथ पैदल मार्ग पर अन्य कई दिक्कते हैं। यात्रा पर अपने बच्चों को लेकर आने वाले यात्री मजदूरों को विश्वास में लिये बगैर अपने छोटे-छोटे बच्चों को सौंप देते हैं, जो कि सरासर गलत है। ऐसे यात्रियों को अपने बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिये। ताकि उनके साथ किसी भी प्रकार की घटना न घटे।

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