उत्तराखंड

भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे पर आई दरारें..

भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे पर आई दरारें..

खतरे को देखते हुए संचालन बंद..

 

 

 

 

 

 

 

 

भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे की प्लेटफार्म पर दरारें आ गई है। खतरे की वजह से रोपवे का संचालन निलंबित कर दिया गया है।

 

 

 

 

 

उत्तराखंड: भू-धंसाव से एशिया के सबसे बड़े जोशीमठ-औली रोपवे की प्लेटफार्म पर दरारें आ गई है। खतरे की वजह से रोपवे का संचालन निलंबित कर दिया गया है। कल शुक्रवार रात को रोपवे पर ये दरारें आई है।रोपवे का एक टावर प्रशासन की ओर से असुरक्षित घोषित किए क्षेत्र में है जिसके चलते रोपवे को लेकर भी आशंकाएं तेज हो गई थी।

जोशीमठ भू-धंसाव का असर जोशीमठ और औली के बीच रोपवे पर भी पड़ा है। इससे पहले प्रशासन ने जहां चार वार्डो को असुरक्षित घोषित किया है उसमें मनोहर बाग वार्ड भी है और रोपवे का एक नंबर टावर यहीं लगा है। रोपवे प्रबंधक दिनेश भट्ट का कहना हैं कि रोपवे टावर की रोजाना नियमित निगरानी की जा रही है।

जोशीमठ से औली तक चार किलोमीटर के इस रोपवे के पूरे सफर में दस टावर हैं। रोपवे से जोशीमठ से औली जाने में 15 मिनट का समय लगता है। औली जाने के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रोपवे ही रहता है। जोशीमठ शहर में असुरक्षित भवनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल ने सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) का सर्वे कराने का फैसला किया है।

पहले चरण में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्रों में सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है। आबादी और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों से पर्वतीय शहरों में धारण क्षमता से अधिक दबाव बढ़ रहा है। जोशीमठ भू धंसाव के पीछे एक वजह शहर की भार वहन क्षमता से अधिक निर्माण को भी ठहराया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

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