उत्तराखंड

गौरीकुंड से रामबाड़ा-चैमासी कालीमठ मोटरमार्ग की घोषणा..

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…क्या इसलिए पहुंचे सीएम धामी कालीमठ मंदिर..

रुद्रप्रयाग: कालीमठ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर सबसे ताकतवर मंदिरों में से एक है। यह ऐसी जगह है, जहां देवी माता काली अपनी बहनों माता लक्ष्मी और मां सरस्वती के साथ स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि माता सती ने पार्वती के रूप में दूसरा जन्म इसी शिलाखंड में लिया था।

वहीं, कालीमठ मंदिर के समीप मां ने रक्तबीज का वध किया था। उसका रक्त जमीन पर न पड़े, इसलिए महाकाली ने मुंह फैलाकर उसके रक्त को चाटना शुरू किया। रक्तबीज शिला नदी किनारे आज भी स्थित है। इस शिला पर माता ने उसका सिर रखा था। रक्तबीज शीला वर्तमान समय में आज भी मंदिर के निकट नदी के किनारे स्थित है। कालीमठ मंदिर में एक अखंड ज्योति निरंतर जली रहती है। भारतीय इतिहास के अद्वितीय लेखक कालिदास का साधना स्थल भी यही रहा है। इसी दिव्य स्थान पर कालिदास ने मां काली को प्रसन्न कर विद्वता को प्राप्त किया था। इसके बाद कालीमठ मंदिर में विराजित मां काली के आशीर्वाद से ही उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे।ं, जिनमें से संस्कृत में लिखा हुआ एकमात्र काव्य ग्रन्थ “मेघदूत” जो कि विश्वप्रसिद्ध है।

हर साल नवरात्रि में कालीमठ मंदिर में भक्तों की भीड़ का तांता लगा रहता है और दूर-दूर से श्रद्धालु मां काली का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। इस सिद्धपीठ में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु मां को कच्चा नारियल व देवी के श्रृंगार से जुड़ी सामग्री, जिसमें चूड़ी, बिंदी, छोटा दर्पण, कंघी, रिबन, चुनरियां अर्पित करते हैं। देशभर में कालीमठ मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के अलग अलग मंदिर बने हुए हैं।

कालीमठ मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गयी मनोकामना या मुराद जरुर पूरी होती है। इसलिए सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मां काली के दरबार में पहुंचे हुए हैं। सीएम धामी चंपावत से उप चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में वे अपनी जीत को सुनिश्चित करने को लेकर मां काली का आशीर्वाद लेने आए हैं।

 

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