उत्तराखंड

आजादी के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचने वाले पहले गृहमंत्री हैं अमित शाह..

आजादी के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचने वाले पहले गृहमंत्री हैं अमित शाह..

बाबा रुद्रनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर अमित शाह ने मांगा आशीर्वाद..

 

 

 

 

देश की आजादी के 75 वर्ष में अमित शाह पहले केंद्रीय गृहमंत्री हैं, जो संगमस्थली रुद्रप्रयाग पहुंचे हैं। वहां उन्होंने महर्षि नारद की तपस्थली में बाबा रुद्रनाथ के दर्शन भी किये। बता दे कि इससे पूर्व इस मंदिर में पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ही पूजा-अर्चना के लिए पहुंची थीं।

 

 

उत्तराखंड: देश की आजादी के 75 वर्ष में अमित शाह पहले केंद्रीय गृहमंत्री हैं, जो संगमस्थली रुद्रप्रयाग पहुंचे हैं। वहां उन्होंने महर्षि नारद की तपस्थली में बाबा रुद्रनाथ के दर्शन भी किये। बता दे कि इससे पूर्व इस मंदिर में पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ही पूजा-अर्चना के लिए पहुंची थीं। आपको बता दे कि अलकंनदा-मंदाकिनी नदी के संगम पर स्थित रुद्रप्रयाग का विशेष धार्मिक महत्व है। इस स्थान की पहचान भगवान शिव के रुद्र नाम से ही जानी जाती है।

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र नारद ऋषि ने यहां पर 100 वर्ष तक भगवान शिव की तपस्या की थी। तब, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें रुद्र रूप में दर्शन दिए थे। यही नहीं, नारद ऋषि ने संगम किनारे भगवान शिव की पूजा की थी, जिस पर आराध्य ने उन्हें वीणा का ज्ञान दिया था। इसी लिए इस स्थान को रुद्रनगरी भी कहा जाता है। संगम पर नारद शिला स्थित है, जिसका एक हिस्सा जून 2013 की आपदा में ध्वस्त हो गया था। इसी धार्मिक स्थल पर शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे। जहां उन्होंने सबसे पहले भगवान रुद्रनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा के दर्शन कर आर्शीवाद लिया।

गुलाराबराय से गृहमंत्री शाह रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे से होते हुए रुद्रनाथ मंदिर पहुंचे। जहां पर पारंपरिक विधि-विधान से मंदिर के पुजारी ने उन्हें तिलक लगाया और सूक्ष्म पूजा-अर्चना कराई। यह पहला मौका था, जब इस प्राचीन मंदिर में कोई बड़ी राजनीतिक हस्ती पहुंची। मंदिर के महंत धर्मानंद का कहना हैं कि प्राचीन मंदिर में देश के गृहमंत्री का आना सुखद था। उम्मीद है कि वह इस मंदिर के जीर्णेाद्धार और प्रचार-प्रसार के लिए आने वाले दिनों में कुछ न कुछ करेंगे। बता दें कि रुद्रनाथ मंदिर का वर्ष 1920 में रुद्रप्रयाग नगर के निर्माता कहे जाने वाले स्वामी सच्चिदानंद स्वामी ने पुनरोद्धार किया था।

 

 

 

 

 

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