देवस्थानम बोर्ड भंग होने पर बोले त्रिवेंद्र रावत ‘ मैं तो मुस्कुरा भी नहीं सकता ‘
देवस्थानम बोर्ड भंग होने पर त्रिवेंद्र रावत ने दी कुछ ऐसी प्रतिक्रिया..
उत्तराखंड: चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर भाजपा रोलबैक करने के बाद भी वाहवाही लूटने की कोशिशों में जुटी हुई हैं। हालांकि, पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेता हैं जो इस फैसले से किनारा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी धामी सरकार के इस फैसले से किनारा कर लिया है। शायद यही कारण है कि जब इस मुद्दे पर सवाल किया तो त्रिवेंद्र ने हंसते हुए कुछ अलग ही प्रतिक्रिया दी।
आपको बता दे की भाजपा सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए जिस देवस्थानम बोर्ड की जमकर तारीफ की गई और विधानसभा के अंदर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए सरकार के मुखिया से लेकर तमाम मंत्रियों ने देवस्थानम बोर्ड को प्रदेश हित में बताया, अब वही भाजपा इस मामले पर शीर्षासन करती दिखाई दे रही है। यही देवस्थानम बोर्ड भाजपा को खलने लगा है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक इसे वापस लेने पर सरकार की खूब वाहवाही कर रहे हैं। लेकिन इस सबके बीच एक चेहरा है जो अब भी देवस्थानम बोर्ड पर अडिग दिखाई दे रहा है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जिनके नेतृत्व में इस बोर्ड को लेकर निर्णय लिया गया, उन्होंने धामी सरकार के इस फैसले से किनारा कर लिया है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस मामले पर जब सवाल किया तो उन्होंने बड़े ही अलग अंदाज में अपनी बात रखी। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मुझे पता है कि तुम्हें क्या पूछना है। उन्होंने एक लाइन में अपना जवाब देते हुए कहा कि, मैं तो तुम्हारे सामने मुस्कुरा भी नहीं सकता। इतना कहकर त्रिवेंद्र सिंह रावत सवालों से बचते हुए निकल गए। लेकिन जब उनसे दोबारा वही सवाल दोहराया गया तो उन्होंने अपना मास्क हटाकर ‘थोड़ा हंस लूं?’, पूछा और मौके से रवाना हो गए।
जिससे साफ देखा जा सकता है कि अब देवस्थानम बोर्ड पर उनकी ही सरकार ने उनके ही निर्णय को बदला और उसके बाद उन्होंने इसे अपनी हंसी से जुड़ा तो जाहिर है कि वह इस फैसले को लेकर क्या मंतव्य रखते हैं। आपको बता दें कि देवस्थानम बोर्ड पर सीएम धामी का बयान आने से पहले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत मंगलवार को अपनी विधानसभा डोईवाला में ही घूमते हुए दिखाई दिए। देहरादून व मीडिया से दूरी बनाते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जाहिर कर दिया कि वह धामी सरकार के इस फैसले से खुश नहीं है। यदि ऐसा नहीं होता तो त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मदन कौशिक की तरह इस फैसले का स्वागत करते हुए दिखाई देते।