सीएम तीरथ को कही अपनी ही सरकार के फैसले बदलना पड़ न जाये भारी..
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कई ऐसे बयान और फैसले लिए हैं जो त्रिवेंद्र के नेतृत्व वाली सरकार के फैसलों के ठीक उलटे हैं। ताजा मामला त्रिवेंद्र सरकार के दौरान बनाए गए दायित्वधारियों को हटाने से जुड़ा हुआ हैं। इस बेहद बड़े और गंभीर फैसले के बाद यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार तीरथ के ऐसे फैसले भाजपा के लिए फायदेमंद होंगे। जिसके जवाब में भाजपा के नेता कहते हैं कि ऐसे निर्णय पार्टी के शीर्ष स्तर पर लिए जाते है।
इसलिए जो भी निर्णय लिया जाता है उसे बेहद सोच समझकर आगे बढ़ाया जाता हैं। ऐसे में इन फैसलों के नुकसान का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा जहां तक दायित्वधारियों को हटाने का मामला है तो ऐसे निर्णय पहले से भी लिए जाते रहे हैं, पार्टी समय-समय पर परिस्थितियों के हिसाब से ऐसे कदम उठाती हैं।
1- कर्मकार कल्याण बोर्ड में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नया अध्यक्ष और सचिव बैठाया, तो तीरथ सिंह रावत ने आते ही सचिव और अध्यक्ष को ही हटा दिया।
2- कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज पर त्रिवेद नेतृत्व वाली सरकार ने विराम लगाया तो तीरथ सिंह रावत ने इसके लिए बजट आवंटित कर दिया।
3- त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाने वाले दायित्वधारियों को भी तीरथ सरकार में बदल दिया गया हैं।
4- तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की बात कही।
5- त्रिवेंद्र सरकार के दौरान अहम पदों पर बैठे अधिकारियों को हटाकर दूसरे अधिकारियों को लाया गया।
वही कांग्रेस का कहना हैं कि भाजपा में इस वक्त अंदरूनी खींचतान चल रही हैं। जिसका नतीजा है कि भाजपा इस तरह से अपनी ही सरकार के फैसलों को बदल रही हैं। लिहाजा इसका न केवल आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा, बल्कि कांग्रेस को इसका फायदा भी होगा।