सीरियल किलर बहनें : जिन्होंने 42 बच्चों को मौत के घाट उतारे, अब है इनकी फांसी का इंतजार..
देश-विदेश : अमरोहा में अपने ही परिवार के 07 सदस्यों को प्रेमी के साथ कुल्हाड़ी से काटकर मार देने वाली शबनम को मथुरा में फांसी होने जा रही है. इसकी तैयारियां भी हो गई हैं. इस महीने के आखिर में या मार्च की शुरुआत में उसे फांसी दे दी जाएगी. देश में इस समय 03 और महिलाएं फांसी के इंतजार में हैं.इसमें एक विधायक की बेटी भी है. इन सभी महिलाओं के अपराध इतने संगीन और भयावह थे कि इनकी दया याचिकाओं को राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं. इन तीन महिलाओं में हरियाणा की सोनिया और महाराष्ट्र की रेणुका और सीमा हैं.
हरियाणा की सोनिया ने पिता के साथ 08 लोगों को मारा..
हरियाणा की सोनिया ने पिता समेत 08 लोगों की थी निर्मम हत्या. सोनिया के पिता हिसार के विधायक रेलूराम थे. प्रॉपर्टी की लालच में 23 अगस्त 2001 को सोनिया और उसके पति संजीव ने मिलकर रेलूराम व उसके परिवार के आठ लोगों की हत्या कर दी थी.
प्रणब मुखर्जी खारिज कर चुके हैं दया याचिका..
2004 को सेशन कोर्ट ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई. जिसे 2005 को हाई कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया. बाद में 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने वापस सेशन कोर्ट की सजा बरकरार रखने का फैसला किया. समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद सोनिया व संजीव ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई.जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया था.जेल से कई बार भागने की कोशिश भी कर चुकी है.
दो बहनें, जिन्होंने 42 बच्चों की हत्या की..
पुणे की रेणुका और सीमा सगी बहनें हैं. वो 24 सालों से पुणे के यरवदा जेल में बंद हैं. ये वही जेल है, जहां कसाब को फांसी दी गई थी. बड़ी रेणुका और छोटी का नाम सीमा है. दोनों ने 42 बच्चों की हत्या की. इन हत्याओं में इन दोनों की मां अंजना गावित भी दोषी थी. उसकी मौत जेल में ही एक बीमारी से हो चुकी थी. इन दोनों की मां अंजना गावित नासिक की रहने वाली थी. वहीं एक ट्रक ड्राइवर से प्यार में भागकर पुणे आ गई. दोनों की एक बेटी हुई रेणुका. प्रेमी ट्रक ड्राइवर पति ने अंजना को छोड़ दिया था.
पहले मां के साथ चोरियां करती थीं..
एक साल बाद गावित ने एक रिटायर्ड सैनिक मोहन से शादी कर ली. इससे दूसरी बेटी सीमा हुई. ये शादी भी नहीं चली. अब सड़क पर आने के बाद गावित बच्चियों के साथ चोरियां करने लगी. बड़े होने पर बच्चियां भी मदद करने लगीं.
बच्चों से चोरी करातीं फिर उसे मार देतीं..
फिर वो बच्चे चुराने लगीं. ये तब तक जारी रहा जब तक इस गिरोह का पर्दाफाश नहीं हुआ था. उन बच्चों से भी चोरी करातीं. बच्चा काम का नहीं रहता तो उसे मार देतीं. ज्यादातर बच्चों को पटक-पटक मार देतीं थी. बच्चों को मारने के उन्होंने ऐसे तरीके अपनाएं कि सुनकर ही दिल दहल जाए.1990 से लेकर 1996 तक छह साल में उन्होंने 42 बच्चों की हत्या कर दी थी.
घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनी..
ये घटना महाराष्ट्र के अख़बारों की सुर्खियां बन गई थी. भारत में इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कभी हत्याएं नहीं हुईं थीं. यह सीरियल किलिंग का मामला भारत ही नहीं, दुनिया के सबसे खतरनाक और दर्दनाक मामलों में से एक था. हालांकि सीआईडी को ज्यादा सबूत नहीं मिले. लेकिन 13 किडनैपिंग और 6 हत्याओं के मामलों में इन तीनों का इंवॉल्वमेंट साबित हो गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी..
साल 2001 में एक सेशन कोर्ट ने दोनों बहनों को भी मौत की सजा सुनाई. हाईकोर्ट में इस केस की अपील में साल 2004 को हाईकोर्ट ने भी ‘मौत की सजा’ को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ऐसी औरतों के लिए ‘मौत की सजा’ से कम कुछ भी नहीं है.