जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में अब कोई भी बना सकेगा घर..
देश-विदेश : जम्मू कश्मीर में अब देश का कोई नागरिक जमीन खरीद सकता है। इसके लिए अब जम्मू कश्मीर का नागरिक होने की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार ने मंगलवार काे केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के लिए भूमि कानून के तहत एक अधिसूचना जारी किया। गृह मंत्रालय के इस कदम के बाद भारत के नागिरक इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अब जमीन खरीद सकेंगे और वहां पर बस सकेंगे। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी।
गृह मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि इस आदेश को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा जाएगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। आदेश में कहा गया है कि सामान्य आदेश अधिनियम, 1897 इस आदेश की व्याख्या के लिए लागू होता है क्योंकि यह भारत के क्षेत्र में लागू कानूनों की व्याख्या के लिए लागू होता है।
वहीं जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अनुसार, हम चाहते हैं कि बाहर के उद्योग जम्मू-कश्मीर में स्थापित हों, इसलिए औद्योगिक भूमि में निवेश की जरूरत है। लेकिन खेती की जमीन सिर्फ राज्य के लोगों पास ही रहेगी। बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते थे। मोदी सरकार की नई अधिसूचना के मुताबिक अब बाहर के लोग भी यहां जमीन खरीद सकते हैं।
केंद्र सरकार का यह फैसला जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित होने की पहली सालगिरह के चार दिन पहले आया है। इससे पहले जम्मू कश्मीर में सिर्फ उस राज्य के स्थायी नागरिक ही जमीन खरीद सकते थे। 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर की अपनी अलग संवैधानिक व्यवस्था थी, इसके तहत देश के किसी अन्य राज्य के नागरिक जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे।
गृह मंत्रालय ने ये फैसला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत लिया है। इसके तहत अब कोई भी भारतीय जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है। इसके लिए उसे किसी भी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की जरूरत नहीं होगी।
जम्मू कश्मीर को पिछले साल आर्टिकल 370 से मुक्त किया गया है, उसके बाद 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। केंद्र शासित प्रदेश बनने के एक साल पूरा होने से ठीक पहले जमीन के कानून में बदलाव किया गया है।