उत्तराखंड

देव निशानों के गंगा स्नान के बाद पांडव नृत्य का आगाज…

एकादशी से पूर्व रात्रिभर किया जागरण, देवताओं की चार पहल की पूजाएं की संपंन… 

रुद्रप्रयाग। विगत वर्षों की भांति इस बार एकादशी की पूर्व संध्या पर दरमोला व स्वीली-सेम के ग्रामीण देव निशानों को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गंगा स्नान के लिए अलकनंदा-मंदाकिनी के तट पहुंचे। यहां पर रात्रिभर जागरण करने व देवताओं की चार पहर की पूजाएं संपन्न की। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया।

शुक्रवार सुबह पांच बजे ग्रामीणों ने भगवान बद्रीविशाल, लक्ष्मीनारायण, शंकरनाथ, तुंगनाथ, नागराजा, चामुंडा देवी, हित, ब्रहमडुंगी, भैरवनाथ समेत कई देव के निशानों के साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों का गंगा स्नान कराया गया। जिसके उपरान्त पुजारी व ब्राह्मणों ने भगवान बद्री विशाल समेत सभी देवताओं की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा अर्चना शुरू की तथा यहां पर हवन व आरती के साथ देवताओं का तिलक किया गया।यहां दूर दराज क्षेत्रों से पहुंचे स्थानीय भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस दौरान देव निशानों ने नृत्यकर भक्तों को आशीर्वाद भी दिया। यहां पर पूजा अर्चना के पश्चात सभी देव निशानों ने ढोल नगाडों के साथ अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया।

ग्राम पंचायत दरमोला में प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्थानों पर पांडव नृत्य आयोजन की परम्परा है। एक वर्ष दरमोला तथा दूसरे वर्ष राजस्व गांव तरवाड़ी में पांडव नृत्य का आयोजन होता है। इस वर्ष दरमोला में देव निशानों की स्थापना कर पांडव नृत्य का भव्य रूप से शुभारंभ हो गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान नारायण पांच महीनों की निन्द्रा से जागते हैं, जिससे इस दिन को शुभ माना गया है।

इस अवसर पर जसपाल सिंह पंवार, पुजारी कीर्तिराम डिमरी, गिरीश डिमरी, किशन रावत, लक्ष्मी प्रसाद डिमरी, अरविंद पंवार, मोहित डिमरी, विकास डिमरी, सुरेन्द्र रावत, वेदप्रकाश डिमरी, हुकम सिंह, विजय सिंह, पान सिंह, दान सिंह, रविन्द्र पंवार, अनिल पंवार, रविन्द्र डिमरी, भारत भूषण भटट समेत बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।

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