रहने की जगह न मिलने से खुले आसमान के नीचे रहे तीर्थयात्री..
रुद्रप्रयाग: बीते तीन दिनों से हो रही बारिश से सरकार और प्रशासन की यात्रा व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। भारी बारिश के बीच एक ओर केदारनाथ यात्रा रोक दी गई, वहीं शहरी कस्बों के साथ ही जगह-जगह यात्रा मार्ग और पड़ावों पर यात्रियों को बारिश में भीगने को मजबूर होना पड़ा। यहां तक कि बड़ी संख्या में यात्रियों ने सोमवार रात खुले आसमान के नीचे रात काटी। चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों को बीते दो दिनों में कई बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ा है।
एक ओर अपने गतंव्य न पहुंचने से परेशानियां उठानी पड़ी। वहीं दूसरी ओर बारिश ने उन्हें और भी मुश्किलों में डाल दिया। रविवार और सोमवार को बारिश के बीच कई जगहों पर सड़कें बंद होने से यात्री परेशान रहे तो, प्रमुख शहर और कस्बों में रात रुकने के लिए जगह ही नहीं मिल पाई। बड़ी संख्या में यात्री सड़कों पर कमरों की खोज में घूमते नजर आए। यह स्थिति रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक कई स्थानों पर देखने को मिली। नगर मुख्यालय में लोगों ने यात्रियों की परेशानियों से जुड़ी पोस्टें भी सोशल मीडिया पर साझा की ताकि स्थानीय स्तर पर भी उन्हें मदद मिल सके।
सूत्रों के मुताबिक रुद्रप्रयाग में बीती रात करीब 250 से अधिक यात्री बिना कमरे के परेशान रहे। तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारनाथ में भी यात्री ठहरने के साथ ही खाने-पीने के लिए परेशान रहे। वहीं दूसरी ओर यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए कुछ स्थानों पर व्यापारियों ने भी मदद की। रुद्रप्रयाग व्यापार संघ के अध्यक्ष चन्द्रमोहन सेमवाल ने बताया कि कुछ यात्रियों को नए बस अड्डे स्थित बारातघर में रात रुकने की व्यवस्था की गई। व्यापार संघ के जिलाध्यक्ष अंकुर खन्ना ने बताया कि यात्रियों की समस्या देखते हुए व्यापार संघ के प्रतिनिधियों से भी यात्रियों की मदद का आग्रह किया गया है।
व्यापारी अनेक स्थानों पर यात्रियों की मदद भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश होने से अलकनंदा और मंदाकिनी नदी उफान पर बह रही हैं। रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी ने खतरे के निशान को पार कर दिया है। नदी किनारे स्थित घरों तक भी पानी पहुंच गया है। नदी किनारे स्थित घाटों का कही कुछ अता-पता नहीं है। अलकनंदा नदी में हजारों टन मलबा बहकर आ रहा है। बारिश इसी तरह जारी रही तो दिक्कतें और भी बढ़ सकती हैं।