उत्तराखंड

समय पर उपचार न हुआ तो शिशुपाल के कट सकते हैं दोनों पैर

आपदा में टूट गया था घर, दोनों पैरों के अंगूठे कटे

आर्थिक तंगी के कारण नहीं हो पा रहा है शिशुपाल का उपचार

रुद्रप्रयाग। आज के समय में गरीब होना सबसे बड़ा अभिशाप बन गया है। आर्थिक तंगी के कारण गरीब व्यक्ति न तो अपना उपचार करा पा रहे हैं और ना नहीं बेहतर शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल रुद्रप्रयाग के शिशुपाल लाल का है। पहले आपदा में मकान टूटा, उसके बाद एक दुर्घटना में वह दोनों पैरों से अपंग हो गया। डॉक्टरों को उसके दोनों पैरों के अंगूठे काटने पड़े, अब उसकी सारी अंगुलियां काटने की नौबत आ गई है। समय पर उपचार न मिला तो दोनों पैर भी काटने पड़ सकते हैं।

दरअसल, शिशुपाल लाल मूल रूप से चाका-फलाटी गांव का निवासी है। लेकिन 2013 में आई भीषण आपदा में उसका मकान भी क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद उसने विकासखंड जखोली के बंदरतोली, भिमली में अपना छोटा सा घर बनाया। घर बनाते समय अचानक उसके दोनों पैर और दांया हाथ फ्रेक्चर हो गया। इसके बाद वह उपचार के लिए जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचा। जहां उसके दोनों पैरों के अंगूठे काटने पड़े। इस बीच पैसे के अभाव में शिशुपाल अस्पताल से घर आ गया। अब स्थिति यह हो गई है कि उसके दोनों पैरों में इंफेक्शन होने लगा है। धीरे-धीरे पैरों की हड्डियां गलने लगी हैं और घाव तेजी से फैल रहा है। समय पर शिशुपाल का उपचार नहीं हुआ तो उसके दोनों पैरों की अंगुलियां काटनी पड़ सकती है।

शिशुपाल के दोनों पैरों के अंगूठे कटने के बाद अब घाव और भी गहरा होता जा रहा है। पैर काटने की भी नौबत आ सकती है।

शिशुपाल लाल का कहना है कि वह धियाड़ी-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। अब वह मजदूरी करने लायक भी नहीं रहा। वह घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं। परिवार की माली हालत है। एक लड़का और दो लड़कियां अभी स्कूल में पढ़ रही हैं। शिशुपाल का कहना है कि उसने जिंदगी भर जो भी थोड़ा बहुत कमाया, वह उपचार पर खर्च हो गया है। उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह अपना उपचार करा सके। जेब में फूटी कौड़ नहीं है। समय पर उपचार नहीं हुआ तो धीरे-धीरे जख्म पूरे पैर में फैल सकता है और बाद में दोनों पैरों को भी काटना पड़ सकता है। शिशुपाल ने शासन-प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि उसके उपचार में मदद की जाए, ताकि वह अपने परिवार की रोजी-रोटी चला सके।

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