उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के प्रधान, जानिए क्या है इनका मास्टरप्लान
देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव संपन्न हो चुके हैं हरिद्वार छोड़कर सभी 12 जिलों में प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के पदों पर परिणाम आ चुके हैं. इस बार के पंचायत चुनाव बेहद खास इसलिए भी हैं क्युकी पूरे प्रदेश में लगभग आधे प्रत्याशी युवा और नए हैं,ऐसे में अब पंचायतों के लिए ये परिणाम गेम चेंजर भी साबित हो सकते हैं. आज हम उत्तराखंड के उन चुनिन्दा और बेहद कम उम्र के प्रधानों से आपको मिलायेंगे जो की देश के सबसे कम उम्र की प्रधानों की सूची में शामिल हो गए हैं. बेहद कम उम्र के इस नाव निर्च्वाचित प्रधानों के पास भले ही अनुभव की कमी हो लेकिन जोश और हौसले इनके बेहद बुलंद हैं. इन्हीं में से एक हैं 21 साल की रागिनी आर्य, जिन्हें सबसे कम उम्र की प्रधान बनने का गौरव हासिल हुआ है.
रागिनी हल्द्वानी की पनियाली ग्राम सभा से प्रधान चुनी गईं. उनकी उम्र महज 21 साल है. समाजसेवा का जज्बा रागिनी में कूट कूटकर भरा है. रागिनी साइकोलॉजी में ग्रेजुएट हैं, पर गांव-समाज के लिए कुछ बेहतर करने की इच्छा उन्हें राजनीति में खींच लाई. इधर रुद्रप्रयाग गुप्तकाशी के तुंलगा ग्राम सभा में नवीन रावत प्रधान पद पर निर्वाचित हुई हैं. नवीन ग्रेजुएट है और इस युवा की उम्र 22 साल है और वह 7 वोट से विजय हुई हैं. नवीन अपने गांव को विकास के बलबूते एक अलग मुकाम में ले जाना चाहते हैं.
इसके अलवा रुद्रप्रयाग जिले के मयकोटी ग्राम सभा से इसबार 22 साल के अमित प्रदाली को जीत हासिल हुई है. अमित इस से पूर्व श्रीनगर छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं और केन्द्रीय विश्व विद्यालय से एम-फार्मा कर रहे हैं. छात्र राजनीति के बाद सक्रीय राजनीति में अमित का यह पहला इम्तिहान था जिसे उन्होंने पास कर दिया है. अमित का लक्ष्य अगले पांच सालों में गांव को एक मॉडल विलेज बनाना है. इधर चंपावत के भंडार बोरा ग्राम सभा में में मीना कुंवर प्रधान पद पर निर्वाचित हुई हैं. मीना की उम्र भी 23 साल है और वह 27 वोट से विजयी हुई हैं. मीना अपने गांव को विकास के बलबूते एक अलग मुकाम में ले जाना चाहती हैं.