तीन साल में तैयार हुआ चंदन का वन..
उत्तराखंड : चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक स्थित ग्राम ग्वाड़ तोक निवासी एक युवक ने अपनी जमीन पर परंपरागत खेती से हटकर चंदन का जंगल उगाने की योजना बनाई। ग्रामसभा तेफना के ग्वाड़ तोक निवासी 34-वर्षीय प्रदीप कुंवर ने एमए-बीएड करने के बाद नौकरी के लिए हाथ-पैर मारने के बजाय तीन साल पहले गांव में ही पुश्तैनी जमीन पर कुछ अलग करने का निर्णय लिया। लेकिन, परंपरागत खेती के अलावा उन्हें कोई राह नजर नहीं आई। जबकि, परंपरागत खेती को जंगली जानवर तो नुकसान पहुंचाते ही हैं। साथ ही सिंचाई की व्यवस्था न होने के कारण लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है।
दरअसल, प्रदीप को मालूम हुआ कि बदरी-केदार में हर साल चंदन की भारी खपत होती है। ऐसे में एक दिन अचानक प्रदीप के मन में ख्याल आया कि क्यों न चंदन का जंगल लगाया जाए। प्रदीप ने जब परिवार के सामने यह बात रखी तो किसी ने भी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। बावजूद इसके अपनी सोच को कार्यान्वित करने के लिए प्रदीप ने वर्ष 2017 में भिकियासैंण (अल्मोड़ा) स्थित नर्सरी से चंदन की पौध खरीदकर उसे खेतों में लगाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों ने उसका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन, युवक भी अलग ही मिट्टी का बना हुआ था। सो, ग्रामीणों की परवाह न कर वह चंदन का जंगल लगाने में जुट गया। आखिरकार मेहनत रंग लाई और तीन साल में सफेद चंदन का जंगल लहलहाने लगा। आज वही ग्रामीण, जो युवक का मजाक उड़ाया करते थे, उसे शाबासी दे रहे हैं।
प्रदीप बताते हैं कि चंदन यहां की जलवायु में बहुत अच्छी तरह ग्रोथ कर रहा है। इसलिए अब उनकी योजना नर्सरी से पौध बेचकर कमाई करने की है। बताया कि एक पौधा 300 रुपये से अधिक कीमत में बिक रहा है।