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दुनिया का सबसे महंगा चावल..

दुनिया का सबसे महंगा चावल..

देश-विदेश: भारत में ज्यादातर लोग खाने के शौकीन हैं। हर राज्य में कुछ खास व्यंजन हैं जो दुनिया भर में मशहूर हैं। राज्य कोई भी हो, चावल के बिना भारत में खाने की थाली की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। सदियों से चावल हमारे खाने का अहम हिस्सा रहा है। देश के किसी भी कोने में चले जाएं, किसी ना किसी रूप में चावल हमारी थाली में आ ही जाता है, चाहे उत्तर में कश्मीरी पुलाव हो या दक्षिण में इडली-डोसा हो। बिरयानी से लेकर खीर तक, चावल हमारे खाने के ज़ायके को कई गुना बढ़ा देता है।

 

 

चावल सबसे ज्यादा खाई जाने वाली अनाज है और चावल की कई तरह के वैराइटीज भी भारत में पाई जाती है। जैसे कि व्हाइट राइस, ब्राउन राइस, बासमती राइस इत्यादि। हो सकता है, की आपने इन नामों के अलावा भी कई तरह के चावलो के नाम सुने ही होंगे। लेकिन क्या आपने कभी काली चावल के बारे में सुना है। कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले चावल यानी की ब्लैक राइस के बारे में बताया था और ऐसे में देश के तमाम लोग इस बात को जानना चाहते हैं, कि काला चावल क्या है और यह काला चावल कैसा होता है तथा इसकी खेती के फायदे क्या है।

काला चावल बाकी चावलों की तरह ही आम चावल है। ताज्जुब की बात तो यह है, कि काला चावल बिल्कुल वैसे ही चावल होते है, जिसका इस्तेमाल हम दिनचर्या में खाने के लिए करते हैं। लेकिन बस कुछ खास एलिमेंट्स की वजह से इसका रंग काला हो जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है, कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, विटामिन और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और यही कारण है, कि पिछले कई समय से काले चावल की मांग बढ़ती जा रही है। कहा जाता है कि हाई केलोस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर, एलर्जीअर्थराइटिस इत्यादि जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए काले चावल बिल्कुल दवा के रूप में काम करते हैं .

बन रहे हैं देश-विदेश में मांग..

काले चावल के बढ़ती मांग की वजह से कोई भी चावल का अंदाजा लगा सकता है, कि यह कितनी खास चावल है। बता दे, कि देश तो देश विदेशों से भी इसकी काफी डिमांड आ रही है। देश में कुछ प्रमुख हिस्से जैसे बिहार, मुंबई, हरियाणा, तमिलनाडु इत्यादि में इस चावल की मांग बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे विदेशी देशों में भी चावल की अच्छी खासी खपत है। इस चावल की खेती भी धान की बाकी किस्म की तरह ही 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाता है। बता दूं कि यह चावल बाजार में 285 रुपया किलो के भाव से बिकता है।

 

 

काला चावल उत्तर प्रदेश की चंदौली की अलग पहचान बन चुका है। किसानों ने यहां 3 साल पहले एक्सपेरिमेंट करके चंदौली में इस फसल को उगाना शुरू किया था और जल्द ही इसकी मेहनत रंग लाई और काले चावल की डिमांड देश के साथ-साथ विदेशों में भी फैल गया। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में भी काले चावल की अच्छी खासी खेती होती है। वहीं मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में भी काले चावल की अच्छी पैदावार है। जानकारी के लिए बता दूं, कि काले धान की खेती लगभग 8 से 10 क्विंटल प्रति बीघा में काले चावल की पैदावार होती है और सबसे अच्छी बात तो यह है, कि इस चावल की खेती में पानी की भी काफी बचत होती है।

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