गढ़वाल या कुमायूं, मुख्यमंत्री कहाँ से लड़ेंगे विधान सभा चुनाव?
उत्तराखंड: अब जब सरकार फुल एक्शन मोड़ में आ चुकी है और फैसलों का असर भी इस बदलाव की हवा का रुख बताने लगा है तो अब एक अहम सवाल पर आकर मसला टिक गया है और वो है सीएम तीरथ की विधान सभा से जुड़ा हुआ क्योंकि अभी तक वो लोकसभा के सदस्य हैं और उन्हें एक सीट से चुनाव जीतकर विधान सभा का सदस्य बनना है अब ऐसे में वो कौन सी सीट होगी , गढ़वाल की होगी या कुमायूं की इस मुद्दे पर अलग अलग राय भी सामने आ रही है। मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत के सामने अब एक बड़ी चुनौती छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनने को लेकर हैं।
हालांकि, कुमाऊं क्षेत्र में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन से खाली हुई सल्ट सीट उनके लिए एक विकल्प तो हो सकती है लेकिन मुख्यमंत्री से जुड़े हमारे सोर्स दबी जुबां बता रहे हैं कि खुद मुख्यमंत्री रावत गढ़वाल क्षेत्र से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर अभी से कयासबाजी शुरू हो गई है और माना जा रहा है कि वह धनोल्टी, रायपुर, डोईवाला में से किसी सीट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंच सकते हैं।
अब बात पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की करें तो सत्ता और पार्टी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि उनका बुलावा दिल्ली के लिए हो सकता है ऐसे में उनकी डोइवाला सीट तीरथ सिंह रावत के एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं। इस संभावना को हवा तब और मिल गयी थी। जब उत्तराखंड में पार्टी के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने पिछले दिनों संकेत दिया था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे सांगठनिक कौशल वाले नेता की पार्टी को केंद्र में जरूरत हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह अभी पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र से सांसद हैं और विधायक बनने के बाद उनकी खाली सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को लोकसभा उपचुनाव लड़ाया जा सकता हैं।
यह स्थिति दोनों ही नेताओं के लिए मनमाफिक होगी। लेकिन अभी ये सिर्फ संभावनाएं है क्योंकि जिस तरह का भाजपा लीडरशिप निर्णय लेती है उसका अंदाज़ा लगा पाना आसान भी नहीं है क्योंकि इसका ताज़ा उदाहरण उत्तराखंड में सीएम की रेस से लेकर घोषित फेस तक देखा जा चुका है