उत्तराखंड

भरदार की जनता के पास सुयोग्य प्रत्याशी जिताने का अच्छा अवसर: पहाड़ी

जनता अपनी वोट की ताकत और लोकतांत्रिक अधिकार का करे सही उपयोग

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड में पंचायती चुनावों की तैयारी के साथ ही विभिन्न स्तरीय चुनावों के लिए प्रत्याशियों ने जोड़-तोड़ शुरू कर दी है। पेशेवर चुनाव लड़इये तो काफी पहले से गोटियाँ फिट करने में लगे थे। इनमें से ज्यादातर लड़इये पंचायतीराज अधिनियम में 2 बच्चों के साथ ही न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10 पास रखे जाने और उस पर त्रिवेंद्र सरकार की दृढ़ता के चलते इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। अब इसके लिए अनेक अर्ह प्रत्याशी मैदान में हैं और सब कुछ दाँव पर लगा कर भी कोई न कोई पद जीत लेना चाहते हैं।

देश में पंचायतीराज की परंपरा गौरवशाली और काफी पुरानी है। पंचायतें ग्रामीण व्यवस्था के संचालन की मुख्य धुरी रही हैं। सेवा, समन्वय और न्याय-व्यवस्था की श्रेष्ठता इन पंचायतों की आत्मा रही हैं लेकिन दलीय राजनीति व धन के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण पंचायती प्रणाली में लगातार गिरावट आती चली गई तथा इसका वर्तमान परिदृश्य सत्ताभिमान, भ्रष्टाचार, गुटबंदी और मनमानी से गँदलाया हुआ लगता है। सेवा, न्याय और समन्वय तो जैसे इसमें से सिरे से गायब हो गया है। इससे पंचायतें और समाज- दोनों कमजोर हुए हैं।

इससे लोकतंत्र का यह बुनियादी स्तंभ कमजोर हो गया है और सरकारी तंत्र लोकशाही पर हावी हो गया है, जिसका खामियाजा समाज और देश भुगत रहे हैं। इसका कारण इस सम्पूर्ण व्यवस्था में अवसरवादी, अयोग्य, अक्षम और भ्रष्ट लोगों की बढ़ती घुसपैठ और समाज की योग्य प्रतिनिधियों की पहचान न करना है। इसे सुधारे बिना सिस्टम को सुधारने की कल्पना नहीं की जा सकती। यह काम सरकार अकेले और केवल कानून बनाकर नहीं कर सकती। इसके लिए समाज को आगे आना होगा। अपनी ताकत पहचाननी होगी, योग्य-अयोग्य की पहचान करनी होगी और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए इसे सुधारने की लगातार कोशिश करनी होगी। लोकतंत्र मतदाताओं की ताकत से मजबूत होता है और उन्हीं की लापरवाही से कमजोर भी होता है।

वोटर यदि भ्रष्ट, अवसरवादी, लंपट प्रत्याशी को वोट देकर, अपनी लोकतांत्रिक ताकत उसे सौंप देगा तो उससे अच्छे काम की आशा कैसे कर सकता है? इसी का कारण है कि देश-समाज अपनी पूरी क्षमता से आगे नहीं बढ़ पा रहा है और हमें अधिकांशतः निराशा हाथ लगती है। क्या हम यह सीख नहीं ले पा रहे हैं कि जिस समाज ने ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंका था, वही समाज आज वार्ड मेंबर और ग्राम पंचायत के जुल्म को सहने को क्यों विवश है?

यह अवसर है कि हम ठोक-बजाकर कर्मठ, समझदार और जनता के हितों के लिए लड़ने वाले सुयोग्य प्रत्याशी को अपना वोट दें। रुद्रप्रयाग में जन अधिकारों के लिए लड़ने के लिए जन अधिकार मंच का गठन कर पिछले सवा वर्ष से जनता की लड़ाई लड़ने वाले युवा और जुझारू पत्रकार मोहित डिमरी इस बार जिला पंचायत, रुद्रप्रयाग के लिए, सौंरा-जवाड़ी जिला पंचायत वार्ड से चुनाव लड़ने को तैयार हुए हैं। उनका जिला पंचायत में होना, जिले के लोकतांत्रिक ढाँचे को सशक्त बनाने की संभावना से परिपूर्ण हो सकता है। इसलिए इस वार्ड के लोगों के समक्ष एक अच्छा अवसर है कि वे अपने वोट का उपयोग एक अच्छी समझबूझ वाले कर्मशील युवा को आगे बढ़ाने में करें।

अन्य क्षेत्रों में भी लोगों को योग्य व्यक्तियों को वोट देकर आगे लाना चाहिए ताकि वे आपका ईमानदारी से नेतृत्व कर सकें और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अपना श्रेष्ठतम समर्पित कर सकें।

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