उत्पादों के लिए जीआई बोर्ड बनाने वाला देश का पहला राज्य होगा उत्तराखंड
कैबिनेट में जल्द मिल सकती है मंजूरी..
राज्य से क्षेत्रीय उत्पादों की पहचान और मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए, जीआई बोर्ड (भौगोलिक संकेत) निर्माण योजना बनाई गई थी। कैबिनेट बोर्ड की आगामी बैठक में इसके निर्माण को हरी झंडी मिल सकती है
उत्तराखंड: राज्य से क्षेत्रीय उत्पादों की पहचान और मार्केटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए, जीआई बोर्ड (भौगोलिक संकेत) निर्माण योजना बनाई गई थी। कैबिनेट बोर्ड की आगामी बैठक में इसके निर्माण को हरी झंडी मिल सकती है। उत्तराखंड के देशी उत्पादों को कानूनी रूप से संरक्षित करने के लिए जीआई पंजीकरण कराना बोर्ड की जिम्मेदारी है। जीआई टैग मिलने से नकली उत्पाद बाजार में बेचने से बचा जा सकेगा।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जीआई बोर्ड गठित करने की घोषणा की थी। कृषि विभाग द्वारा बोर्ड स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भी भेज दिया गया है। प्रस्तावित बोर्ड में एक अध्यक्ष के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बोर्ड का काम क्षेत्रीय सामान चुनना और जीआई पंजीकृत करना होगा। बोर्ड में एक या दो विशेष आमंत्रित सलाहकार व विशेषज्ञ भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे। कृषि विभाग व उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के अधिकारी और कर्मचारी बोर्ड में काम करेंगे।
इससे सरकार पर बोर्ड के गठन के परिणामस्वरूप सरकार को कोई और खर्च नहीं करना पड़ेगा। अधिकारियों के अनुसार, राज्य में 100 से अधिक उत्पाद ऐसे हैं, जो जीआई लेबल के योग्य हैं। इसमें अनाज, दाल, तिलहन, मसाले, फल, सब्जियां, हस्तशिल्प एवं हथकरघा उत्पाद, परंपरागत वाद्य यंत्र अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं।
जीआई टैग की बदौलत इन उत्पादों को कानूनी तौर पर संरक्षण मिल जाएगा। क्षेत्र विशेष के उत्पादों को भौगोलिक संकेत दिया जाता है, जिसका एक विशेष भौगोलिक महत्व व स्थान होता है। उसी भौगोलिक मूल के कारण उत्पाद विशेष गुण व पहचान रखता है। जीआई टैग मिलने के बाद कोई अन्य उत्पाद की नकल नहीं कर सकता है।
इन उत्पादों को मिल सकता जीआई टैग..
आपको बता दे कि प्रदेश में नौ उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इसमें तेजपात, बासमती चावल, एपेण आर्ट, मुनस्यारी का सफेद राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया दन, च्यूरा ऑयल, टम्टा शामिल है। 14 अन्य उत्पादों के जीआई पंजीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इनमें बेरीनाग चाय, मंडुवा, झंगोरा, गहत, लाल चावल, काला भट्ट, माल्टा, चौलाई, लखोरी मिर्च, पहाड़ी तुअर दाल, बुरांश जूस, सजावटी मोमबत्ती, कुमाऊंनी पिछोड़ा, कंडाली(बिच्छू घास) फाइबर शामिल हैं