उत्तराखंड

उत्तराखंड पलायल आयोग की सदस्या बनी रंजना रावत..

उत्तराखंड पलायल आयोग की सदस्या बनी रंजना रावत..

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने ग्राम्य विकास एवं पलायल आयोग में पांच सदस्यों को नामित करने की स्वीकृति प्रदान की है। नामित सदस्यों में रामप्रकाश पैन्यूली टिहरी गढ़वाल, सुरेश सुयाल रानीखेत अल्मोड़ा, दिनेश रावत घण्डियाल पौडी गढ़वाल, अनिल सिंह शाही अल्मोड़ा एवं रंजना रावत भीरी रूद्रप्रयाग शामिल है। रूद्रप्रयाग से रंजना रावत को जगह मिलने से उनके गांव व क्षेत्र में खुशी की लहर है।
सीएम ने कहा कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग में सदस्यों के नामित किये जाने से आयोग को अपने कार्यो को बेहतर जंग से संचालन में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य से पलायन को रोकना हमारे लिये बड़ी चुनौती रही है। इसके लिये व्यापक स्तर पर स्वरोजगार परक विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया है। बड़ी संख्या में राज्य के युवा इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आये हैं।

 

 

रंजना रावत रुद्रप्रयाग जिले के भीरी गॉव की रहने वाली हैं। चार साल पहले रंजना ने शहर की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर रंजना गांवों की ओर चल पड़ी। गांव जाकर रंजना ने ग्रामीण स्वरोजगार मिशन की शुरुआत की। इसके तहत रंजना ने सर्वप्रथम कई बेरोजगारों को मशरुम की उन्नत खेती के गुर सिखाये। मशरूम की खेती को पलायन रोकने का जरीया बनाया।

रंजना के स्वरोजगार माॅडल नें दिखलाई रोजगार की राह..

भीरी (रूद्रप्रयाग) की रंजना रावत युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। रंजना ने खेती के जरिए स्वरोजगार की अलख जलाई, त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में नयी पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भुमिका अदा की।

पलायन के खिलाफ चट्टान की तरह खडी है केदार घाटी की बेटी..

हौंसला हो, तो हालात बदले भी जा सकते हैं। परिस्थितियां कैसी भी हों, साहस, जिद और जज्बे से अपने अनुकूल बनाया जा सकता है। इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है रूद्रप्रयाग जनपद के भीरी गांव निवासी रंजना रावत नें। किसाण बिटिया, मशरूम गर्ल और त्रियुगीनारायण वेडिंग प्लानर के नाम से जानी जाने वाली रंजना नें विगत 5 सालों में स्वरोजगार के जरिए हजारों लोगों को रोजगार से जोडा। रंजना आज युवाओं के लिए रोल माॅडल है।

 

 

शहर की नौकरी छोड गांव की माटी में किया स्वरोजगार..

रंजना रावत नें फार्मेसी में डिग्री प्राप्त करने के पश्चात एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर क्वालिटी ऑफीसर के रूप में तीन साल तक कार्य किया। नौकरी लगने के बाद भी रंजना का मन बैचेन रहता था वह बचपन से ही अपने पहाड़ के लिए कुछ करना चाहती थी। वो पहाड़ से हो रहे पलायन से बेहद दुखी थी। उसका सपना था पहाड़ में स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन करके लोगों को रोजगार देना ताकि पहाड़ से पलायन रूके और लोग वापस रिवर्स माइग्रेशन के जरिए वापस पहाड़ लौटे।

आखिरकार एक दिन रंजना नें अपनी नौकरी को छोड़ वापस अपने गांव भीरी लौटने का फैसला किया। रंजना नें अपने गांव आकर स्वरोजगार की अलख जलाई। रंजना नें लगभग 80 नाली भूमि पर मशरूम उत्पादन से लेकर सब्जी उत्पादन, फल, फूल उत्पादन शुरू किया। शुरू में रंजना को काफी मुश्किलें आई लेकिन आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई।

 

 

रंजना नें अपने स्वरोजगार माॅडल के जरिए रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगायें और इससे अच्छा मुनाफा कमाया। इस दौरान रंजना नें सैकडों गांव का भ्रमण कर ग्रामीणों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें मशरूम, सब्जी उत्पादन का निशुल्क प्रशिक्षण दिया। जिसके बाद ग्रामीणों ने स्वरोजगार शुरू किया। रंजना बीते पांच सालों में हजारों लोगों को प्रशिक्षण दे चुकी है।

रंजना नें गढमाटी संस्था की सीईओ भी है। जिसके अंतर्गत रूद्रप्रयाग जनपद के 400 से अधिक महिलाओं को मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण भी दिया गया। महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मशरुम उत्पादन की तीन यूनिटें खोली। भीरी, डांगी, चाका पाटयूं में स्थापित इन यूनिटों में लगभग 40 महिलाएं मशरुम उत्पादन का कार्य कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रही हैं। प्रत्येक यूनिट से एक से डेढ लाख रुपये तक का मशरुम सालाना बेचा जा रहा है। जबकि चैथी यूनिट चंद्रापुरी के गबनी गांव में खोलना प्रस्तावित है।

रंजना का उद्देश्य मल्टीपल व्यवसाय के जरिए रोजगार सृजन कर बारहमासी रोजगार उपलब्ध कराना है। जिसके तहत अब मुर्गी पालन, गाय पालन, मत्स्य पालन, मौन पालन के जरिए ग्राम स्वरोजगार माॅडल को विकसित करना है। रंजना नें कीवी के पेड लगाकर एक नया सफल प्रयोग भी किया है। अभी रंजना ने कीवी के 14 पेड़ लगाये हैं। जिनकी ग्रोथ से वो बेहद उत्साहित है। आने वाले समय में कीवी पहाड़ के लोगों की आर्थिकी मजबूत कर सकता है।

 

 

रंजना नें धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने व स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध होने के उद्देश्य से त्रियुगीनारायण मंदिर को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में नयी पहचान दिलाई। यहाँ रंजना नें पौराणिक रीति रिवाजों संग लोगों की शादियां संपन्न कराई। त्रियुगीनारायण वैदिक प्लानर के साथ रंजना अब तक यहाँ दो दर्जन से अधिक लोगो की शादियां यहाँ करा चुकी है। रंजना कहती हैं कि पहाडों में रोजगार की असीमित संभावनाएं हैं। युवाओं को चाहिए की अपने पहाड़ में ही स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन करें।

विभिन्न मंचों में मिला सम्मान..

स्वरोजगार को बढ़ावा देने और महिला सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय योगदान के लिए रंजना रावत को कई पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। यूथ आइकॉन सम्मान,… सहित विभिन्न पुरस्कार अभी तक मिल चुके हैं। रंजना के कार्यो को देखते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा उन्हें उत्तराखंड औद्यानिकी एंव वानिकी विश्वविद्यालय भरसार का सदस्य नामित किया गया है। जबकि रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन द्वारा रंजना को बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया गया है।.

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