दिलवर सिंह नेगी
मिनी स्विटजरलैण्ड चोपता क्षेत्र का भ्रमण करने पर बुरांश, सिलपाडी, कुखडी़ – माखुडी, जटामासी, खुसण, किरमोला, अतीश, कुटगी, हथजडी, बज्रदंती, पाषाभेद, मीठाजडी़, कालपंजा, वरूणहल्दी सहित विभिन्न प्रकार की जडी – बुटियों की सुगन्ध व मोनाल, काकड़, बाघ, शेर, हिरण, गुलदार, जैसे कई जानवरों की उछलकुद अनूठे आन्नद का रोमांच देते है।
तुंगनाथ घाटी- तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के आंचल में बसे मिनी स्विटजरलैण्ड चोपता का सम्पूर्ण भू- भाग प्राचीन काल से ऋषिमुनियों, विद्वानों तथा प्रकृति, प्रेमियों के आस्था का केन्द्र रहा है। तुंगनाथ घाटी के प्रकृतिक सौंदर्य को प्रकृति ने पग-पग पर अपने अनूठे वैभवों का भरपूर दुलार दिया है इसलिए वर्ष भर प्रकृति प्रेमी तुंगनाथ घाटी आकर यहां के प्रकृतिक सुन्दरता का कायल बन जाते है। ऊखीमठ से तुंगनाथ की ओर पर्दापण करने पर काकडाग़ाड नदी की कल- कल निनाद विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों की अपार वन सम्पदा, सीढीऩुमा खेत खलिहानों की हरियाली यहां आए सैलानियों को रोमंाचित करती है। इस भू- भाग में छोटे – छोटे हिल स्टेशन पठालीधार, सिरसोली, घाटी, मस्तूरा, ताला, पोतीबासा, मक्कूबैण्ड, दुगलबिट्टा, बनियाकुण्ड व मिनी स्विटजरलैण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारकर जीवन के दुख -दर्दो को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है।
ऊखीमठ से पिंगला पाणी तक मोटरमार्ग के दोनों तरफ सीढीनुमा खेत – खलियान, गंाव – कस्बे, झरने व छोटी- छोटी पहाडियां आन्नदित करती है। शरद व बसंत ऋतु में पिंगला पाणी से मिनी स्विटजरलैण्ड चोपता क्षेत्र का भ्रमण करने पर बुरांश, सिलपाडी, कुखडी़ – माखुडी, जटामासी, खुसण, किरमोला, अतीश, कुटगी, हथजडी, बज्रदंती, पाषाभेद, मीठाजडी़, कालपंजा, वरूणहल्दी सहित विभिन्न प्रकार की जडी – बुटियों की सुगन्ध व मोनाल, काकड़, बाघ, शेर, हिरण, गुलदार, जैसे कई जानवरों की उछलकुद अनूठे आन्नद का रोमांच देते है। मक्कूबैण्ड से मिनी स्विटजरलैण्ड चोपता से माध्य चमचमाती हिमालय की श्वेत चादर , असंख्य पर्वत श्रृंखलाएं व काकडागाड़ की सैकडों फीट गहरी खाइयों को निहारने से अपार आन्नद की अनुभूति होती है। मिनी स्विटजरलैण्ड चोपता को पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। यहां पर कई हिन्दी व गढवाली फिल्मों का फिल्मांकन भी किया जाता हैं ।
सौन्दर्य से भरपूर इस घाटी का आन्नद लेने के लिए प्रतिवर्ष सैकडों सैलानी यहां पहुंचते है। चोपता के ऊपरी भू – भाग में रावण शिला अवस्थित है। यहां पर रावण ने भगवान शंकर की तपस्या की थी। क्षेत्रवासियों द्वारा इस क्षेत्र में अपने पितरों की अस्थियां विसर्जित की जाती है। आचार्य हर्ष जमलाकी बताते है कि तुंगनाथ के ऊपरी हिस्से में चन्द्रशिला अवस्थित हैं जहां से उत्तराखण्ड के अधिक से अधिक भू- भाग को दृष्टिगोचर किया जा सकता है। तथा यहां पर तारागणों द्वारा चन्द्रमां की तपस्या की गई थी। अधिवक्ता आनंद बजवाल, नागेन्द्र राणा, ने बताया कि तृतीय केदार तुंगनाथ के आंचल में बसे चोपता में वर्षभर सैलानियों के आवागमन से क्षेत्रीय बेरोजगारों को रोजगार मिलता है। इसलिए पर्यटन विभाग को क्षेत्र को और अधिक विकसित करने का प्रयास किया जाना चाहिए जिससे सैलानियों की आवाजाही में वृद्वि हो सके।
घाटी संचार सुविधा से है अछूती
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ, मिनी स्विट्जरलैड़ – चोपता सहित विभिन्न यात्रा़ पडा़वों पर संचार सेवा एंव विद्युत सेवा उपलब्ध न होने से यहां के व्यापारियों के व्यवसाय पर बुरा असर पड़ रहा है। आजादी के छह दशक से अधिक का समय व्यतित होने के बाद भी इन यात्रा पडा़वों पर विद्युत एवं संचार सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है। सामाजिक कार्यकर्ता कुवर सिंह नेगी का कहना है कि सैलानी यहां कई महीनों प्रवास करने के उद्देश्य से आता तो है, लेकिन विद्युत व संचार सुविधा उपलब्ध के अभाव में वह अधिक समय तक यहां नही ठहराता। उन्होने कहा कि क्षेत्र में बिजली और संचार व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए तो पर्यटन को नई दिशा मिल सकती है। इससे पलायन की समस्या भी दूर होगी।
पैदल ट्रैक का नहीं हो सका विकास
मोहनखाल – राखसीडांडा- चोपता का 32 किमी पैदल मार्ग की हालत बेहद खराब है। ब्रिटिशकाल में मेाहनखाल- राखसीडांडा के बीच आठ किमी छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए मोटरमार्ग का निर्माण तो किया गया, मगर सरकारी हुक्मरानों की अनदेखी के कारण मोटर मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। सामाजिक कार्यकर्ता महेन्द्र रावत ,गौरव कठैत का कहना है कि जनता द्वारा लंबे समय से मोहनखाल -राखसीडांड़ा – चोपता 32 मिकी पैदल मार्ग को ठीक करने की मांग की है। सरकार ने इस ओर ध्यान नही दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता शंकर सिंह नेगी ने कहा कि यदि पैदल मार्ग को विकसित किया जाता है तो कार्तिक स्वमी, बामनाथ, नागनाथ तीर्थ स्थल पर्यटन से जुडेगें। इससे पोखरी, हापला, मोहनखाल, चन्द्रनगर, चोपता क्षेत्र के हिल स्टेशन विकसित होने के साथ ही तल्ला नागपुर, दशज्यूला, चन्द्रशिला व तल्ला कालीफाट के ग्रामीणों तथा श्रद्धालुओं को तुंगनाथ धाम के दर्शन करने में सहूलियत मिलेगीं।