वन प्रभाग में 384 हेक्टेयर वन भूमि से सागौन को काट कर यहां मिश्रित वनों को तैयार किया जा रहा है.
उत्तराखंड वन विभाग एक अनूठा प्रयोग करने जा रहा है. यहां बेशकीमती इमारती लकड़ी देने वाले सागौन के जंगलों को काटकर नया जंगल बनाने की तैयारी चल रही है. माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ़ वन संपदा बेहतर होगी बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष भी कम होगा. दरअसल रामनगर में तराई वन-प्रभाग में यह प्रयोग किया जा रहा है. यहां के जंगल अपनी बायोडायवर्सिटी के लिए जाने जाते हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास होने के कारण यहां वन्यजीवों की भी अच्छी ख़ासी तादाद है. वन महकमा अब यहां मिश्रित वनों की बुवाई कर रहा है.
कॉर्बेट से लगे तराई-पश्चिमी वन प्रभाग में मिश्रित वनों को उगाने कंजू, हरण, बहेडा, जामुन, आंवला आदि विभिन्न तरह के बीजों की बुवाई की जा रही है.
इस वन प्रभाग में 384 हेक्टेयर वन भूमि से सागौन को काट कर यहां मिश्रित वनों को तैयार किया जा रहा है.
तराई-पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफ़ओ हिमांशु बागरी बताते हैं कि बेशकीमती इमारती लकड़ी होने के बावजूद सागौन के साथ दिक्कत यह है कि ये उत्तराखंड की नेटिव प्रजाति नहीं है. इसके नीचे कुछ भी नही उग सकता.
तराई-पश्चिमी वन प्रभाग में अब इनकी जगह पर मिश्रित वन तैयार किए जा रहे हैं ताकि वन्यजीवों को उनके खाद्य पदार्थ जंगल में ही उपलब्ध हो जाएं और वह आबादी का रुख न करें. माना जा रहा है कि ये वन विकसित हो जाने के बाद मानव-वन्यजीव संघर्ष में कुछ हद तक विराम लग सकेगा.
तराई-पश्चिमी वन प्रभाग में अब इनकी जगह पर मिश्रित वन तैयार किए जा रहे हैं ताकि वन्यजीवों को उनके खाद्य पदार्थ जंगल में ही उपलब्ध हो जाएं और वह आबादी का रुख न करें. माना जा रहा है कि ये वन विकसित हो जाने के बाद मानव-वन्यजीव संघर्ष में कुछ हद तक विराम लग सकेगा.