उत्तराखंड

बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि पर यूसैक की मुहर

बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि पर यूसैक ने मुहर लगा दी है। साथ ही इससे ये भी साफ गया है कि पांडुलिपी के रचयिता स्व. धनसिंह बर्त्वाल हैं।

देहरादून : उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने अपनी जांच में 137 वर्ष पूर्व जिले के सतेराखाल स्यूपुरी निवासी धनसिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि को सही पाया है। इसके साथ ही स्पष्ट हो गया है कि भगवान बदरीनाथ की आरती चमोली जिले के नंदप्रयाग निवासी बदरुद्दीन ने नहीं, बल्कि धन सिंह बर्त्वाल ने लिखी थी। वहीं, अब यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट व पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर की मौजूदगी में श्री बदरी-केदार मंदिर समिति इस पांडुलिपि का अधिग्रहण करेगी। पांडुलिपि को बदरीनाथ धाम में सुरक्षित रखा जाएगा।

देश के चारधाम में शामिल बदरीनाथ धाम में गाई जाने आरती के रचयिता को लेकर यूसैक ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। यूसैक ने रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल स्यूपुरी निवासी महेंद्र सिंह बर्त्वाल के उस दावे को सही पाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 137 वर्ष पूर्व उनके परदादा स्व. धनसिंह बर्त्वाल की लिखी बदरीनाथ आरती की पांडुलिपि प्रति उनके पास सुरक्षित है।

इस पर यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट के नेतृत्व में एक टीम ने महेंद्र सिह के घर जाकर हस्तलिखित पांडुलिपि का अध्ययन किया। बिष्ट के अनुसार जांच में पांडुलिपि प्रामाणिक मिली। नंदप्रयाग के बदरुद्दीन के परिवार से भी इस संबंध मे जानकारी मांगी गई, लेकिन वहां से कोई प्रमाण नहीं मिल पाया। इससे स्पष्ट होता है कि बदरीनाथ की आरती महेंद्र सिंह के परदादा स्व. धन सिंह बर्त्वाल ने ही लिखी है। उन्होंने बताया कि पांडुलिपि पर्यटन सचिव को सौंप दी गई है और अब 19 अगस्त उसे मंदिर समिति के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

यूसैक के निदेशक ने बताया कि महेंद्र बर्त्वाल के घर से कई अन्य पौराणिक दस्तावेज भी मिले हैं। लिहाजा वह इस पूरे भवन को म्यूजियम के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव सरकार को भेज रहे हैं। इससे क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उधर, महेंद्र बर्त्वाल ने यूसैक की जांच में पांडुलिपि के प्रामाणिक पाए जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह पूरे जिले के लिए गौरव की बात है।

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